VB-G Ram G Full Form: विकसित भारत रोजगार गारंटी विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है। इसे लेकर विपक्ष हमलावर है और सरकार पर महात्मा गांधी का अपमान करने का आरोप लगा रहा है। वहीं, केंद्र सरकार इस योजना को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रही है।
इस बीच लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर विकसित भारत रोजगार गारंटी विधेयक और मनरेगा में क्या फर्क है। यहां हम सरल शब्दों में समझने की कोशिश कर रहे हैं कि दोनों योजनाओं के बीच पांच बड़े अंतर क्या हैं।
बदलाव नंबर 1: रोजगार के दिनों में बढ़ोतरी
नए विधेयक के तहत हर ग्रामीण परिवार को 125 दिन का वेतनयुक्त रोजगार मिलेगा। सरकार का तर्क है कि इससे न सिर्फ 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार होगा, बल्कि गांवों का समग्र विकास भी संभव होगा। वहीं, मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवारों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिलती थी।
बदलाव नंबर 2: फंडिंग का बोझ राज्यों पर भी
विकसित भारत रोजगार गारंटी योजना में फंडिंग का पैटर्न बदला गया है। मनरेगा में जहां ज्यादातर खर्च केंद्र सरकार उठाती थी, वहीं नई योजना में राज्यों को भी अपने हिस्से का योगदान देना होगा।
पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 90 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। अन्य राज्यों के लिए फंडिंग का अनुपात 60:40 रखा गया है, यानी 60 प्रतिशत खर्च केंद्र और 40 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार करेगी। जिन केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा नहीं है, वहां योजना का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।
बदलाव नंबर 3: किसानों को आसानी से मिलेंगे मजदूर
इस विधेयक के तहत किसानों को खेतों में मजदूर आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे। योजना में प्रावधान है कि बुवाई और कटाई के मौसम में 60 दिनों का अलग समय निर्धारित किया जाएगा, जिसमें मनरेगा के तहत काम नहीं दिया जाएगा। इसका मकसद यह है कि इस अवधि में अधिक मजदूर खेती के काम के लिए उपलब्ध रह सकें।
बदलाव नंबर 4: साप्ताहिक भुगतान व्यवस्था
नई योजना के तहत मजदूरों को अब हर हफ्ते भुगतान किया जाएगा। मनरेगा में 15 दिनों के भीतर मजदूरी देने का प्रावधान था। साथ ही, यदि तय समय के भीतर मजदूरी नहीं मिलती है, तो मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाएगा।
बदलाव नंबर 5: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
सरकार का दावा है कि इस विधेयक से ग्रामीणों की आय में बढ़ोतरी होगी। जल संरक्षण से जुड़ी परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ ही सड़क निर्माण, कनेक्टिविटी और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी विशेष फोकस रहेगा।
ये भी पढ़ें- ‘जी रामजी विधेयक’ लोकसभा से पास
