9 अगस्त को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के एक गांव में 68 वर्षीय भिखारी, बिमला पांडे की मौत हो गई। टोला-लगाम कॉलोनी के पनरुआ गांव में एक कमरे की कच्ची कोठरी में वह और उसका बेटा अबीर (43) कई दिन तक बारिश के चलते कैद रहे। स्थानीय प्रशासन कहता है कि बिमला की मौत डीसेंट्री से हुई। वहीं, भोजन और काम के अधिकार अभियान की एक तथ्यपरक रिपोर्ट में मौत की वजह भूख बताई गई है। अभियान से जुड़ी अनुराध तलवार ने कहा कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक और मामले में जोड़ा जाएगा, जिसमें शीर्ष अदालत भूख से देशभर में हुई 56 मौतों पर सुनवाई कर रही है।
अनुराधा ने कहा, ”खाद्य सुरक्षा कानून (FSA) की सार्वभौमिकता पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। अगर सच में खाद्य सुरक्षा होती, तो यह सबको प्रभावित करती, लेकिन ऐसा नहीं है। समाज का कमजोर तबका जैसे विधवाएं FSA की सूचियों में नहीं आ रही हैं। बिमला ब्राह्मण थी, अगड़ी जाति से होने के चलते, वह कई सरकारी योजनाओं की पात्र नहीं थी। जैसे पश्चिम बंगाल की विधवा पेंशन योजना जो आदिवासी महिलाओं के लिए हैं, या वृद्ध पेंशन योजना जिसमें एससी-एसटी उम्मीदवारों को वरीयता मिलती है।”
तलवार के अनुसार, बिमला की मौत के पीछे सामाजिक कल्याण की योजनाओं और जॉब कार्ड की कमी भी एक वजह है। हालांकि पंचायत सचिव मधुसूदन दत्ता ने कहा, ”वह डीसेंट्री से मरी।” दत्ता का दावा है कि बिमला का राशन कार्ड बना हुआ था और उसे नियमित रूप से चावल मिलता था। हालांकि दत्ता का दावा बिमला के गांव आई एक तथ्य जांचने वाली कमेटी की जांच में गलत निकला। इस समिति ने बिमला के घरवालों और स्थानीय लोगों से बात की।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ”अबीर अपनी मां के साथ लगभग हर रात भूखा सोता था। अबीर के पास कोई नौकरी या आय नहीं थी, कभी वह भीख मांगता, कभी चाय की दुकान पर मजदूरी करता, मगर यह दोनों के रोज खाने के इंतजाम के लिए पर्याप्त नहीं पड़ता। बिमला की मौत के पहले परिवार को कई दिन भूखा रहना पड़ा क्योंकि भारी बारिश की वजह से वह भीख मांगने नहीं जा सके। परिवार का राशन कार्ड नहीं है। अबीर का जॉब कार्ड नहीं बना है और उसकी मांग को कोई विधवा या वृद्धा पेंशन नहीं मिलती थी। परिवार को कोई भी सरकारी सहायता नहीं मिलती थी।”
इस समिति ने यह भी पाया कि गांव के कई परिवार ऐसे ही हालात में रह रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है, ”2011 के बाद से कोई नया राशन कार्ड जारी नहीं हुई है। जिनका कार्ड है, उन्हें 200 ग्राम कम राशन मिलता है और डीलर राशन ब्लैक में बेचता है। अधिकतर को पता ही नहीं कि जॉब कार्ड क्या होता है और काम के लिए आवेदन कैसे करता है।”
समिति के सदस्य सोमी जन ने कहा, ”पांडे परिवार के हालात बहुत खराब थे। उनकी झोपड़ी की एक दीवार गिर रही थी… जब हम उनके घर गए तो वहां एक भी बर्तन नहीं था, जमीन पर सोने को चटाई तक नहीं थी।” बिमला की मौत के बाद, ब्लॉक विकास कार्यालय (BDO) से एक टीम उसके घर गई। अबीर को एक कड़ाही, एक हांडी, दो थालियां और एक टारपॉलिन शीट दी गई। इसके अलावा उसे 7 किलो चावल, 2 किलो आलू, दाल और मां के अंतिम संस्कार के लिए 2,000 रुपये दिए गए।

