नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) पर पश्चिम बंगाल में बीते कई दिनों से राजनीतिक गहमा-गहमी जारी है। बुधवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह एनआरसी को बंगाल में लागू नहीं होने देंगीं। सीएम ने कहा कि इसकी वजह से कई लोगों की जानें गईं हैं। दरअसल बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि बंगाल में एनआरसी को लागू करवाया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसकी वजह से एक भी हिंदू को देश नहीं छोड़ना पड़ेगा।
बंगाल में बीजेपी के रणनीतिकार विजयवर्गीय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का नाम लिए बिना कहा कि कुछ राजनीतिक दल और राजनीतिक एनआरसी पर भ्रम फैला कर आम लोगों के बीच डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं ममता ने वेस्ट मिदनापुर जिले में स्थित डेबरा में प्रशासनिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा ‘यह बेहद ही हैरानी भरा है कि लोगों में एनआरसी का इस कदर खौफ फैल चुका है कि वह आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठा रहे हैं। लोगों में डर है कि पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी को लागू न कर दिया जाए। लेकिन मैं साफ कह देना चाहती हूं कि बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होने दिया जाएगा।’
इससे पहले ममता ने कहा था कि राज्य में कथित तौर पर एनआरसी को लेकर भ्रम का माहौल बनाया जा रहा है। उन्होंने बीजेपी के स्थानीय नेताओं पर आरोप लगाया कि वे राज्य में एनआरसी को लागू करने की संभावना को लेकर अफवाहें फैला रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि राज्य में एनआरसी को लागू करने से पहले मोदी सरकार को उनसे पार पाना होगा।
बता दें कि राज्य में बीते रविवार को दो लोगों द्वारा कथित तौर पर एनआरसी के खौफ में जान देने का मामला सामने आया है। कहा जा रहा है कि इन लोगों को डर था कि अगर राज्य में एनआरसी लागू हुआ तो इनका नाम इसमें शामिल नहीं हो पाएगा। 42 साल के कालाचंद मिदया शनिवार सुबह से ही लापता चल रहे थे। रविवार को अपने घर से एक किमी दूर एक बांस के पेड़ से झूलती हुई उनकी लाश मिली। यह वारदात दक्षिणी 24 परगना जिले की है।
वहीं, 35 साल के कमल हुसैन मंडल की लाश नॉर्थ 24 परगना जिले के बाशीरहाट में मिली। उनका शव उनके घर के नजदीक एक आम के पेड़ से झूलता हुआ मिला। उनके परिवारवालों ने कहा कि मंडल काफी वक्त से सरकारी दफ्तरों और राशन की दुकानों का चक्कर लगा रहे थे ताकि वे अपने वोटर आईडी, आधार और राशन कार्ड में नाम बदलवा सकें।