India-Pakistan Ceasefire: ऑपेरशन सिंदूर के बाद सैन्य टकराव को टालने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को सीजफायर पर सहमति बनी थी। इस फैसले को लेने के एक दिन बाद मोहम्मद रफीक ने जम्मू और कश्मीर के पुंछ जिले के नांगली साहिब क्षेत्र में एक बिना फटे तोप के गोले जैसा कुछ देखा। उन्होंने कहा, ‘गोला गिरने की कोई भी आवाज नहीं हुई। यह मकई के डंठलों के ढेर पर गिरा। हमने इसे एक दिन बाद देखा जब गोले में आग लगी हुई थी।’
रफीक ने आगे बताया कि जब उनके परिवार ने पुलिस चौकी को फोन किया तो अधिकारियों ने उनसे एक वीडियो भेजने के लिए कहा। हम बाहर उस रास्ते पर जाने से भी डरते हैं और वे हमसे एक वीडियो बनाने के लिए कह रहे हैं। एलओसी के पार से पुंछ में दागे गए विस्फोटकों ने कई लोगों को परेशान कर दिया है। रफीक ने कहा, ‘मुझे चिंता है कि अगर इसे अनदेखा किया गया तो एक दिन यह फट जाएगा जब सभी को इसकी उम्मीद नहीं होगी। जब स्कूल फिर से खुलेगा तो हमारे बेटे को पहाड़ से नीचे उतरने के लिए गोले के पास जाना होगा। हमने इसे 11 मई को देखा और दो दिनों तक बाहर नहीं निकले। फिर हमने देखा कि गोले में आग लग गई थी। कल भी हमने गोले से धुआं निकलते देखा, लेकिन अधिकारी अब तक नहीं आए हैं।’
कुछ साल पहले एक बच्चे ने खो दिए थे अपने दोनों हाथ – रफीक
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक और गोला उनके घर के पास एक जगह गिरा। वह भी एलओसी से करीब 15 किलोमीटर दूर था और फट गया। रफीक ने कहा, ‘कुछ साल पहले बांदीचेचियन के एक बच्चे ने एक बिना फटे गोले से खेलते हुए अपने दोनों हाथ खो दिए थे। पुंछ के एसएसपी शफकत हुसैन ने मेंढर सब डिवीजन के मनकोट गांव के दौरे के दौरान लोगों से कहा था कि वे संदिग्ध चीजों को ना छुएं और इसकी जानकारी सुरक्षाबलों को दें।
रफीक के पड़ोसी रिजवान अहमद के रसोईघर में एक ऐसा गोला गिरा जो फटा नहीं था और दो दिन तक वहीं पड़ा रहा। अहमद ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘लगातार गोलाबारी के कारण हम सभी अपनी मौसी के घर पर थे। अगले दिन जब हम सुबह 6 बजे के आसपास लौटे, तो हमने छत और दीवार में छेद देखा। एक गोला रसोई में घुस गया था। सौभाग्य से यह फटा नहीं। हमने गांव के प्रधान को जानकारी दी। उन्होंने पुलिस को बताया। तीन पुलिसकर्मियों और सेना के दो लोगों ने गोले के ऊपर मिट्टी डाली और इसे दो दिनों तक वहीं छोड़ दिया। हमें रसोई का दरवाजा न खोलने के लिए कहा गया। बाद में वे इसे हमारे प्लॉट के एक कोने में ले गए।’ लोगों को मकई के खेत में कुछ शंख भी मिले हैं।
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शाहपुर में भी कुछ गोले बिना फटे रह गए थे
एलओसी के पास शाहपुर में भी कई गोले गिरे थे और कुछ अभी भी बिना फटे ही रह गए थे। मोहम्मद आजम नाम के एक मजदूर ने बिना फटा गोला बारूद पाया और तुरंत सेना को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘जब पेड़ भी ऐसे हमलों से सुरक्षित नहीं हैं, तो हमारे पास क्या मौका है? एक गोला हमारे घर की छत पर गिरा था, जहां मैं, मेरी पत्नी, हमारे पांच बच्चे और मैं सोते हैं, लेकिन यह छत तक नहीं पहुंच पाया।’ आजम बताते हैं कि एलओसी से नजदीकी के कारण गोलाबारी के दौरान उनका गांव खास तौर पर खतरनाक हो जाता है। 7 मई को 120 एमएम का एक गोला आजम के घर के पास गिरा और तब से वह एक उभरी हुई चट्टान के नीचे पड़ा हुआ है। जंग के मुहाने से लौटे भारत-पाकिस्तान