वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट गुरुवार को हंगामे के बीच राज्यसभा और लोकसभा में पेश की गई। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस के कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने जेपीसी की रिपोर्ट में विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को शामिल नहीं करने का आरोप लगाते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करार दिया और भारी हंगामे के बाद सदन से वॉक आउट किया।
सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी की मेधा विश्राम कुलकर्णी ने समिति की रिपोर्ट सदन में पेश की। रिपोर्ट पेश होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामपंथी दल सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया। हंगामा कर रहे सदस्य आसन के निकट आ गए और नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच ही सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह राष्ट्रपति का एक संदेश सदन में पेश करना चाहते हैं। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और सदन में व्यवस्था बनाने की अपील की। हालांकि, इसके बावजूद हंगामा जारी रहा।
मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने की नहीं मिली अनुमति
इस बीच नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कुछ कहना चाहते थे लेकिन सभापति ने इसकी अनुमति नहीं दी। धनखड़ ने कहा कि भारत की प्रथम नागरिक और राष्ट्रपति पद पर आसीन पहली आदिवासी महिला का संदेश है और इसे सदन में पेश न होने देना उनका अपमान होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसकी अनुमति नहीं दूंगा।’’ धनखड़ ने हंगामा कर रहे सदस्यों से व्यवस्था बनाए रखने की अपील की और उन्हें कार्रवाई की चेतावनी भी दी। हंगामा जारी रहते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
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विपक्ष ने जताई JPC रिपोर्ट पर आपत्ति
दोबारा कार्यवाही शुरू होने उन्होंने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अवसर दिया। खड़गे ने कहा कि समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने ‘डिसेंट नोट’ दिए थे लेकिन उन्हें रिपोर्ट से निकाल दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ बहुमत सदस्यों के विचारों को रखकर उसे बुलडोज करना ठीक नहीं है। यह निंदनीय है। यह लोकतंत्र-विरोधी है और प्रक्रियाओं के विरुद्ध है।’’
विपक्ष ने कहा- फर्जी रिपोर्ट
कांग्रेस ने कहा कि दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि समिति में गैर-हितधारकों के भी बयान दर्ज किए गए। उन्होंने इसे ‘फर्जी रिपोर्ट’ करार देते हुए कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए और समिति को वापस भेजा जाना चाहिए। खड़गे ने कहा कि जहां तक बाद हंगामे की है तो उच्च सदन के सदस्य व्यक्तिगत कारणों से नहीं बल्कि एक समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के कारण प्रदर्शन कर रहे हैं।
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मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘यह किसी एक व्यक्ति के बारे में नहीं है। ये सदस्य अपने लिए प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, वे उस समुदाय के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं जिसके खिलाफ अन्याय किया जा रहा है।’’ द्रमुक के तिरुचि शिवा और आप के संजय सिंह ने भी रिपोर्ट से असहमति नोट हटाने पर आपत्ति जताई।
संसदीय कार्य मंत्री ने रिजिजू ने हालांकि इस आरोप से इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट के किसी भी हिस्से को हटाया नहीं गया है। सभा को गुमराह मत कीजिए। विपक्षी सदस्य अनावश्यक मुद्दे बना रहे हैं। यह आरोप गलत है।’’ केंद्रीय मंत्रियों भूपेंद्र यादव और निर्मला सीतारमण ने भी विपक्षी दलों पर उच्च सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया, जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक बार फिर तीखी नोंकझोंक हुई। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स
(इनपुट- भाषा)