वक्फ बोर्ड से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान एमपी हाई कोर्ट में जबरदस्त बहस देखने को मिल गई। असल में जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया उस समय एक वकील पर भड़क गए जब वो एक साधारण से सवाल का जवाब नहीं दे पाया। असल में जज ने सिर्फ इतना पूछा था कि किसी भी प्रॉपर्टी को वक्फ बोर्ड के नाम पर कैसे घोषित किया जा सकता है। इस सवाल का जवाब वकील के पास नहीं था और जज ने वही क्लास लगा दी।

क्या बोला जज ने?

जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा कि ताजमहल, रेड फोर्ट को भी वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दो, जब भी मन आएगा, किसी की भी प्रॉपर्टी ऐसे ही घोषित कर दोगे। साधारण सा सवाल है, वक्फ की प्रॉपर्टी कैसे डिक्लेयर हो गई, इसका जवाब तो देना पड़ेगा ना। या आप मानकर चल रहे हो कि डिक्लेयर नहीं हो सकती। ऐसे ही चलता रहा तो कल आप किसी सरकारी दफ्तर को भी वक्फ की प्रॉपर्टी घोषित कर दोगे।

वक्फ कानून में और क्या बदलाव ला रही सरकार

यह बिल क्या है?

अब जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल 2024 पर बहस चल रही है। विपक्षी दल जहां इस बिल के खिलाफ हैं तो वहीं सरकार की तरफ से यह बताया गया कि वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की जरूरत क्यों है।  सरकार का कहना है कि इस बिल के जरिए सरकार देश के वक्फ बोर्ड्स की पूरी प्रक्रिया जवाबदेह व पारदर्शी बनाना चाहती है।

क्या बदल जाएगा?

समझने वाली बात यह है कि वक्फ संपत्तियों को रेगुलेट करने में सरकार को बड़ा अधिकार देने से लेकर, किसी संपत्ति को वक्फ की कैसे माना जाए, इसे फिर से परिभाषित करने से लेकर राज्यों में वक्फ बोर्डों की संरचना को बदलने तक, केंद्र नियामक ढांचे में बदलाव के लिए महत्वपूर्ण संशोधन ला रही है।