बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने दावा किया है कि जब से उन्होंने वक्फ बिल का समर्थन किया है, उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं, सोशल मीडिया पर उन्हें निशाने पर लिया जा रहा है। आजतक से बात करते हुए शाहनवाज ने कहा कि मुझे कई धमकियां मिली हैं, लेकिन मैं किसी भी ऐसी धमकी से डरने नहीं वाला हूं। गालियों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

अब जानकारी के लिए बता दें कि विपक्ष इस बिल को मुस्लिमों के खिलाफ मानता है। इसी वजह से जेडीयू से भी कई मुस्लिम नेताओं ने यही बोलकर पार्टी भी छोड़ दी है। लेकिन सरकार का लगातार कहना है कि यह बिल किसी का अधिकार छीनने के लिए नहीं आया है, बल्कि इसके जरिए पारदर्शिता को और ज्यादा बढ़ाने का काम हुआ है। वैसे सरकार को एक बड़ी कामयाबी जरूर मिल चुकी है।

यह बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से पारित हो चुका है। अगर लोकसभा में सहयोगियों के दम पर बहुमत हासिल हुआ तो राज्यसभा में भी मनोनीत सदस्य और कुछ दूसरी पार्टियों के न्यूट्रल स्टैंड ने काम आसान कर दिया। अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही वक्फ संशोधन बिल एक कानून का रूप ले लेगा।

वक्फ बिल से पहले भी देखी गईं लोकसभा में लंबी बहस

क्या है वक्फ बिल?

वक्फ (संशोधन) बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला एक विधेयक है। केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए नियमों को सख्त करने के उद्देश्य से इस बिल को लागू करना चाहती है।

इस बिल के बाद क्या बदलाव होगा?

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को शामिल करना, कलेक्टर को संपत्ति सर्वे का अधिकार देना और वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देना का प्रावधान शामिल है। अगर बिल पास हुआ तो अब वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को जबरन ‘वक्फ संपत्ति’ घोषित नहीं कर सकेगा। जानकारी के लिए बता दें कि जवाहर लाल नेहरू सरकार ने साल 1954 में वक्फ एक्ट पास किया था। वहीं, 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया था जिसके बाद हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई थी। इस एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे से लेकर रख-रखाव तक को लेकर प्रावधान हैं।

वैसे वक्फ से पहले भी इस देश में जमीनों का मालिकाना हक तय होता था। अगर इतिहास के उन पुराने पन्नों को टटोलना है तो जनसत्ता की इस विशेष खबर का रुख करें