Waqf Amendment Bill 2025 Controversy: वक्फ संशोधन बिल को लेकर लोकसभा में काफी लंबी चर्चा चली, देर रात इसे पारित भी करवा दिया गया। आज गुरुवार को वक्फ बिल पर राज्यसभा में चर्चा चल रही है, कई मुद्दे फिर उठाए जा रहे हैं। विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहा है, नीयत पर भी सवाल उठा रहा है। अब असल में ये सारे वो सवाल हैं जो कहीं ना कहीं मुस्लिम समाज की कुछ आपत्तियां भी हैं। यहां सरल शब्दों में जानने की कोशिश करते हैं कि Waqf Ammendment Bill 2025 को लेकर 5 बड़ी आपत्तियां क्या हैं-

आपत्ति नंबर 1- आखिर बदलाव की जरूरत क्यों?

मुस्लिम समाज को एक सबसे बड़ी आपत्ति इस बात को लेकर है कि सरकार को अब ऐसी जरूरत क्यों महसूस हुई कि उसे वक्फ की प्रॉपर्टी को मैनेज करने के लिए एक बदले हुए कानून की जरूरत पड़ेगी। कई मुस्लिम बुद्धिजीवी इसे सराकरी हस्तक्षेप के रूप में देख रहे हैं। यहां तक कहा जा रहा है कि ऐसा कर सरकार मुस्लिमों के अधिकारों को कम कर रही है।

आपत्ति नंबर 2- सरकारी हस्तक्षेप बढ़ जाएगा

वक्फ बिल को लेकर मुस्लिम समाज में कुछ लोगों का मानना है कि अब सरकार तय करेगी कि आखिर कौन सी प्रॉपर्टी वक्फ है और कौन सी नहीं। इसके ऊपर सरकार द्वारा लाए गए बिल का सेक्शन 40 कहता है कि वक्फ बोर्ड इस बात का फैसला लेगा कि किसी जमीन को वक्फ का माना जाए या नहीं। अब यहां पर विवाद इस बात को लेकर है कि अब यह फैसला लेने की ताकत किसी वक्फ ट्रिब्यूनल के पास ना होकर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पास होगी।

वक्फ बिल को लेक राज्यसभा में चर्चा जारी, हर अपडेट यहां

आपत्ति नंबर 3- वक्फ बाय यूजर क्लॉज हटाने की बात

वक्फ जमीनों को लेकर जो पुराना कानून था, वो कहता था अगर कोई जमीन लंबे समय से वक्फ द्वारा ही इस्तेमाल की जा रही है तो उसे वक्फ का माना जा सकता है। तब अगर जरूरी कागजात नहीं भी होते थे, तब भी उस जमीन को वक्फ का मान लिया जाता था। लेकिन अब जब यह बिल लाया गया है, इसमें इस शब्द को ही हटा दिया गया है। इससे होगा यह कि अगर कोई प्रॉपर्टी वक्फ की नहीं है तो उसे संदिग्ध माना जाएगा, यह तर्क नहीं दिया जा सकेगा कि क्योंकि पहले से ही इस प्रॉपर्टी पर वक्फ काम कर रहा था, तो इस पर अधिकार भी उनका ही रहेगा।

आपत्ति नंबर 4- गैर-मुस्लिम की वक्फ बोर्ड में एंट्री

वक्फ ट्रिब्यूनल में पहले सिर्फ मुस्लिम समाज का कोई शख्स ही सीईओ के पद पर बैठ सकता था। लेकिन जो नया बिल सरकार ने पेश किया है, उसमें कहा गया है कि गैर मुस्लिम को भी सीईओ बनाया जा सकता है। यहां तक कहा गया है कि बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा। आगखानी और बोहरा समाज का प्रतिनिधित्व भी अब वक्फ बोर्ड में देखने को मिल सकता है।

आपत्ति नंबर 5- प्रॉपर्टीज का सर्वे

1995 का जो कानून चल रहा था, वो तो सिर्फ इतना कहा था कि अगर किसी वक्फ प्रॉपर्टी का सर्वे होगा तो उसमें सर्वे कमिश्नर नियुक्त करने की ताकत राज्य सरकार के पास होगी। अब नए बिल के बाद यह ताकत डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को दे दी जाएगी। सरकार का तर्क है कि सर्वे में पारदर्शिता की कमी रहती है, गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्य में तो कई जगह अभी सर्वे शुरू भी नहीं हो पाए हैं। लेकिन AIMIM प्रमुख ओवैसी मानते हैं कि वक्फ की ऐसी जमीनें हैं जिन्हें अवैध तरीके से पहले ही हड़प लिया गया है, ऐसे में अब इन बदलावों की वजह से उन विवादित जमीनों पर भी सरकार अपना कब्जा करेगी।