दिसंबर 2008 में वीडियोकॉन समूह के मुखिया वेणुगोपाल धूत ने आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर कंपनी खड़ी की। फिर कंपनी के लिए 64 करोड़ रुपये का लोन पास हुआ। बाद में सिर्फ नौ लाख रुपये में कंपनी दीपक कोचर के हवाले कर दी गई। यह कंपनी दीपक कोचर के ट्रस्ट को दी गई। इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद दस्तावेजों से यह बात सामने आई है। बैंक के बोर्ड ने अपने सीईओ का खुलकर समर्थन किया है। पिछले 10 दिन में इन आरोपों की वजह से बैंक के शेयरों में 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

कंपनी के हस्तांतरण से छह महीने पहले ही आईसीआईसीआई बैंक ने 3250 करोड़ का लोन वीडियोकॉन ग्रुप को दिया। ऐसे में लोन मिलने के बाद वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक की ओर से बैंक की सीईओ के पति को कंपनी का मालिकाना हक देने पर सवाल उठ रहे हैं। इससे लोन के बदले में बैंक की सीईओ के पति पर लाभ उठाने के संकेत मिल रहे हैं। खास बात है कि 2017 में जब वीडियोकॉन पर 2810 करोड़ रुपये का कर्ज था, तब इसे एनपीए घोषित कर दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक वीडियोकॉन मालिक धूत और दीपक कोचर के व्यावसायिक संबंधों की चल रही जांच

दस्तावेजों के मुताबिक धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ मिलकर बराबर की पार्टनरशिप में दिसंबर 2008 में न्यूपावर रिन्यूएबल्स नाम से एक कंपनी खोली थी। इंडियन एक्सप्रेस को सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर रहीं हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने इस केस से जुड़े सवालों के जवाब के लिए आईसीआईसीआई बैंक को प्रश्नावली भेजी थी।

जिसके जवाब में बैंक ने बुधवार(28 मार्च) क प्रेस रिलीज जारी कर कहा था कि भाई-भतीजावाद या हितों के टकराव को लेकर जो भी आरोप लग रहे हैं, वे अफवाह हैं। इस तरह की बातें कहकर बैंक की साख को खराब करने की कोशिश हो रही है। हालांकि बैंक ने वीडियोकॉन मालिक और दीपक कोचर के बीच लेन-देन को लेकर जवाब नहीं दिया।

इंडियन एक्सप्रेस के खुलासे के मुताबिक दिसंबर 2008 में दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत ने न्यू पॉवर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खड़ी की। धूत अपने  परिवार के सदस्यों के साथ इस कंपनी में पचास प्रतिशत शेयर के मालिक थे।  बाकी पचास प्रतिशत शेयर दीपक कोचर और उनके पिता तथा चंदा कोचर के भाई की पत्नी के पास था। जनवरी 2009 में धूत ने कंपनी के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया। फिर धूत ने अपने 24,999 शेयर ने कोचर को ढाई लाख में बेच दिए। मार्च 2010 में नू पॉवर ने 64 करोड का लोन एक दूसरी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से हासिल किया। इस कंपनी के 99.9 प्रतिशत शेयर के मालिक वेणुगोपाल थे।

नवंबर 2010 में धूत ने सभी शेयर सुप्रीम एनर्जी के अपने सहयोगी महेश चंद्र पुंगलिया के हवाले कर दिया। 29 सितंबर 2012 से 29 अप्रैल 2013 के बीच पुंगलिया ने दीपक कोचर के पिंकल एनर्जी नामक ट्रस्ट के हवाले अपनी संपत्ति कर दी। इस ट्रस्ट के दीपक कोचर मैनेजिंग ट्रस्टी रहे। पुंगलिया ने सिर्फ नौ लाख में ही समूचे शेयर दे दिए। फिर सुप्रीम एनर्जी ने न्यू पॉवर को 64 करोड़ का लोन दिया। 2012 में आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन को 3250 करोड़ का लोन दिया। 2017 में जब वीडियोकॉन समूह 2810 करोड़ के कर्ज तले दबा था, तभी आईसीआईसीआई ने इसे एनपीए में डाल दिया।