मंगलवार को देशभर में धूमधाम से दशहरा पर्व मनाया गया। इस दौरान लोगों ने असत्य और अधर्म पर सत्य और धर्म की जीत का उत्सव मनाया। देश के राजा-रजवाड़ों के लिए भी दशहरा का विशेष महत्व रहता है और इस दिन देश के कई राजा-रजवाड़े विशेष पूजा करते हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश के सिंधिया राजघराने में दशहरे पर शमी के पेड़ की पूजा की जाती है। सिंधिया राजघराने में यह परंपरा बीते 400 सालों से चली आ रही है। अब सिंधिया राजपरिवार के मौजूदा राजा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी मंगलवार को दशहरे के अवसर पर इस परंपरा को निभाया और शमी के पेड़ की पूजा की।
सिंधिया परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने बेटे और सिंधिया राजघराने के राजकुमार महाआर्यमन के साथ परंपरा निभाते हुए पूरे विधि-विधान से यह पूजा की। इस दौरान सिंधिया और उनके बेटे राजसी वस्त्र पहने दिखाई दिए। सिंधिया ने ग्वालियर में माढरे वाली माता के मंदिर के पास स्थित मैदान में शमी पूजन किया। गौरतलब है कि शमी पूजन के बाद सिंधिया ने अपनी तलवार से पेड़ की पत्तियों को काट डाला। जिन्हें लूटने के लिए सिंधिया परिवार के करीबी सरदारों और उनके वंशजों के बीच होड़ लग गई।
क्या है शमी पूजा का महत्वः क्षत्रिय समाज में विजयदशमी के दिन शमी वृक्ष की पूजा की विशेष मान्यता है। मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने इसी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छिपाए थे। अज्ञातवास से आने के बाद पांडवों ने कौरवों से युद्ध किया और विजय प्राप्त की। इस पेड़ के पत्तों को सोना पत्ती भी कहा जाता है। इसी वजह से पूजन के बाद इसकी पत्तियों को बांटा जाता है। इसके अलावा ये भी मान्यता है कि दशहरा के दिन शमी वृक्ष की पूजा से धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इससे इतर अपने एक बयान में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी की गिरती लोकप्रियता पर चिंता जाहिर की थी और पार्टी में आत्मअवलोकन की जरुरत बताते हुए मौजूदा स्थिति में सुधार की जरुरत बतायी थी। बता दें कि इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने पार्टी में नेतृत्व के स्तर पर आए खालीपन आने की बात कही थी।
