उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को सदगुरु जग्गी वासुदेव और सांसदों, सुप्रीम कोर्ट के जज केंद्र व सरकार के शीर्ष अधिकारियों के बीच संवाद करवाया। ‘सदगुरु से संवाद’ कार्यक्रम के लिए उपराष्ट्रपति ने अपने आवास को चुना। जग्गी वासुदेव ने सांसदों, जजों व शीर्ष अधिकारियों को संबोधित किया।
इससे पहले उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम में संवाद की जरूरत पर जोर दिया। नायडू ने कहा कि एकता और दुनिया को बेहतर स्थान बनाने के लिए ‘वाद’ और ‘विवाद’ के स्थान पर ‘संवाद’ को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने मशीनी जीवनशैली और काम के दबाव से निपटने के लिए आंतरिक शांति व शांत दिमाग की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मौजूदा जीवनशैली और काम का दबाव जीवन को बोझिल बना रहा है।
नायडू ने कहा कि दुनियाभर में क्रोध और वैमनस्य बढ़ रहा है। इसकी वजह से संवाद का स्वरूप विकृत होता जा रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकास के लिए यह लक्षण ठीक नहीं है। नायडू ने दुनियाभार में क्रोध, असहिष्णुता, असहनशीलता पर चिंता जताई।
उन्होंने उपदेशकों से लोगों में सुकून, मन की शांति और खुशी को बढ़ावा देने का आह्वान किया। इस मौके पर सदगुरु जग्गी वासुदेव ने व्यक्तिगत रूप से तनाव के कारण और उनकी परिस्थितियों के बारे में बात की। उन्होंने इस तनाव को दूर करने के तरीके भी सुझाए। उन्होंने कहा तनाव और थकान के लिए व्यक्ति खुद जिम्मेदार है। जब वह अपने समय और ऊर्जा को ठीक तरीके मैनेज नहीं कर पाता है तो उसे तनाव महसूस होता है।
सदगुरु ने लोगों से आग्रह किया कि वे आंतरिक बेहतरी को बढ़ावा दे। इसके अलावा समाज व प्रकृति के साथ सौहार्द बनाए रखें। उन्होंने नदियों के जलस्तर में हो रही कमी पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में चलाए जा रहे अपने अभियान ‘रैली फॉर रिवर’ और ‘कावेरी कॉलिंग’ का भी जिक्र किया।
वासुदेव ने लकड़ी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कृषि-वानिकी की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से पेड़ों को काटने की नौबत नहीं आएगी। कार्यक्रम में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश और लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला भी मौजूद थे।