यौन संबंधों से जुड़ी दवाई वियाग्रा को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाने का काम किया है। कोर्ट ने माना है कि इस दवाई पर पूरी तरह अमेरिकी कंपनी फाइजर का हक है, ऐसे में कोई भी दूसरी कंपनी इस नाम के साथ ये दवा नहीं बेच सकती है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फाइजर के पक्ष में कई अहम टिप्पणियां की हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
बेंच ने जोर देकर कहा है कि डिक्शनरी में असल में वियाग्रा जैसा कोई शब्द नहीं है क्योंकि इसका सबसे पहली बार इस्तेमाल ही फाइजर कंपनी द्वारा किया गया है। कंपनी कई सालों से इस नाम का इस्तेमाल कर रही है। अब जानकारी के लिए बता दें कि रिनोवेशन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड एक दवाई बेचती है, उसका नाम है विगोरा।
अब ये नाम काफी हद तक फाइजर की वियाग्रा जैसा सुनाई पड़ता है। इसी वजह से कोर्ट तक ये मामला चला गया और नाम को लेकर जंग छिड़ गई।
कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि कोई भी दूसरी कंपनी वियाग्रा या फिर इसकी जैसी ध्वनि वाली कोई दूसरी दवाई मार्केट में नहीं बेच सकती है, ये फाइजर के अधिकारों का हनन माना जाएगा। सुनवाई के दौरान यहां तक कहा गया था कि समान नामों की वजह से जनता को गुमराह करने का काम किया गया है। ऐसे में अब कोई भी दूसरी कंपनी उस नाम के साथ अपनी दवाई नहीं बेच सकेगी।
फाइजर कंपनी कैसे हुई लोकप्रिय?
फाइजर कंपनी की बात करें तो मेडिकल क्षेत्र में इसे अमेरिका की एक सबसे मजबूत और मशहूर कंपनी के रूप में देखा जाता है। इस कंपनी ने असली लोकप्रियता कोरोना काल में हासिल की थी जब फाइजर ने अपनी वैक्सीन भी बनाई थी। अमेरिका के साथ-साथ कई दूसरे देशों में फाइजर वैक्सीन का इस्तेमाल हुआ था।