उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के बाद निर्वाचित हुए 50 जन प्रतिनिधि को कोई अतापता नहीं है। लापता होने वाले पंचायत प्रतिनिधि नैनीताल, पौड़ी और चंपावत के रहने वाले हैं। राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से सभी जिलाधिकारियों को इन सदस्यों को खोजने का आदेश दिया गया है।

निर्वाचन आयोग का कहना है कि इस मामले में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए। इस मामले में देहरादून निवासी एडवोकेट विपुल जैन ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। मालूम हो कि जिला और क्षेत्र पंचायतों के अध्यक्ष चुनाव में पंचायत सदस्यों की खरीद-फरोख्त और अपहरण के बड़े पैमाने पर आरोप लगाए गए थे। इतना ही नहीं सदस्यों को विदेश घुमाने की बात भी सामने आई थी।

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस संबंध में 17 अक्टूबर को एक आदेश पारित कर कहा कि अगर पंचायत सदस्यों की खरीद फरोख्त या किसी अन्य तरीकों से जिला पंचायत अध्यक्ष या क्षेत्र प्रमुख का चुनाव प्रभावित होने की बात सामने आती है तो इस संबंध में केस दर्ज करें।

इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव रोशन लाल के अनुसार नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़ और पौड़ी गढ़वाल से करीब 50 जिला और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के गायब होने की बात सामने आई थी। मालूम हो कि उत्तराखंड में 5,11 और 16 अक्टूबर को तीन चरणों में त्रिस्तरीय चुनाव हुए थे।

इन चुनावों में ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के साथ ही जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव हुआ था। गौरतलब है कि उत्तराखंड में ग्राम प्रधानों की कुल 7485 सीटों में से 1514 प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। वहीं 5847 सीटों पर दावेदारों के बीच कड़ा मुकाबला था।

इसी प्रकार पंचायत सदस्यों के 56 और क्षेत्र पंचायत सदस्यों (बीडीसी) के 2984 पदों पर चुनाव आयोजित किए गए थे। राज्य में दीवाली के बाद ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव होना है। इस चुनाव में क्षेत्र पंचायत सदस्य मतदान करेंगे।