अमेरिकी खुफिया एजंसियों के अधिकारी इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जुड़े युवक मुंबई के युवक अरीब मजीद से पूछताछ कर सकती हैं क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि उसके पास इराक और सीरिया में सक्रिय इस आतंकवादी संगठन के संबंध में काफी सूचनाएं हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आइएस के खिलाफ अभियान चला रहा अमेरिका इस आतंकवादी संगठन की गतिविधियों के बारे में जानने का इच्छुक है और अरीब उसे संगठन के कब्जे वाले क्षेत्रों की जमीनी हकीकत के बारे में जानकारी दे सकता है।

राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) के सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में अरीब ने उन्हें बताया कि सिविल इंजीनियर होने के बावजूद आइएस के कुछ आकाओं के आदेश पर उसे मोसुल बांध पर राजमिस्त्री के काम पर लगाया गया था। बांध पर काम करने के दौरान एक हवाई हमले में वह घायल भी हो गया था। यह इराक का सबसे बड़ा बांध है और टिगरिस नदी पर स्थित है। जुलाई और अगस्त में कई हफ्ते तक आइएस का मोसुल बांध पर कब्जा था। 17 अगस्त को कुर्द और इराकी सेना ने एक सफल अभियान के बाद बांध पर फिर से नियंत्रण स्थापित कर लिया। अमेरिकी हवाई हमलों ने इसमें कुर्द और इराकी सेना की सहायता की। मोसुल बांध पर काम करने के बाद अरीब को अल-रक्का ले जाया गया जो फिलहाल आइएस के नियंत्रण में है। सीरिया का यह शहर यूफारेट्स नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। रक्का में आरिफ को एके-47 दिया गया लेकिन जल्दी ही वह फिर घायल हो गया।

सूत्रों ने बताया कि पूछताछ के दौरान अरीब ने बताया कि मुंबई के उसके तीन दोस्तोंं के अलावा वह एक भारतीय मूल के अन्य युवक से भी मिला, जो आइएस में शामिल हुआ है। वह युवक एक खाड़ी देश से आया है। सूत्रों के मुताबिक, अरीब ने एनआइए से कहा कि आइएस में शामिल होने और उसके लिए लड़ने के लिए इराक-सीरिया जाने का उसे कोई अफसोस नहीं है। लेकिन वह परिवार के दबाव के कारण वापस लौट आया और उसका मानना है कि यह उसकी गलती है। हालांकि उसने कहा कि वह थोड़ा दुखी भी है क्योंकि उसे सिर्फ शौचालय साफ करने और राजमिस्त्री का काम करने को मिला और वास्तविक लड़ाई में उसकी कोई भागीदारी नहीं रही।

अरीब ने बताया कि मुंबई से गए अन्य तीन युवकों को अलग अलग शहरों में रखा गया था। सूत्रों ने बताया कि अरीब ने उसके साथ गए मुंबई के अन्य तीन युवकों के ठिकाने के बारे में भी जानकारी दी और दावा किया कि वे भी वास्तविक युद्ध में हिस्सा नहीं ले रहे हैं और उन्हें भी खाना पकाने जैसे काम ही दिए जा रहे हैं। उसके मुताबिक आइएस नेताओं ने उससे कहा कि भारतीय युवकों की शारीरिक बनावट युद्ध लड़ने के काबिल नहीं है। वह गोली लगने से हुए जख्म का इलाज कराने के लिए तुर्की गया था और वहीं से उसने अपने परिवार से संपर्क किया।

सूत्रों ने बताया कि एनआइए अरीब की नार्को जांच करना चाहती है। लेकिन ऐसा वह अरीब की सहमति मिलने के बाद ही करेगी। उन्होंंने बताया कि अरीब के परिजनों को उससे मिलने की पूरी आजादी है और उसे हिरासत में भी घर का बना खाना मिल रहा है। उन्होंने बताया कि इन कड़वे अनुभव से बाहर निकलने के लिए उसे मनोवैज्ञानिक और अन्य चिकित्सकीय सहायता दी जा रही है।