बोइंग ने अपने 737Max प्लेन्स की उड़ानों को मंजूरी दिलाने के लिए साल 2017 में डीजीसीए से संपर्क किया था। भारत की विमानन नियामक संस्था डीजीसीए (Directorate General of Civil Aviation (DGCA)) से बातचीत में बोइंग के अधिकारियों ने डीजीसीए अधिकारियों को ‘बेवकूफ’ बताया था। बोइंग के आंतरिक दस्तावेज बीते माह यूएस एविएशन रेगुलेटर फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन और यूएस कांग्रेस को मुहैया कराए गए थे और अब गुरूवार को इन दस्तावेजों को जारी किया गया है। इन्हीं दस्तावेजों से उक्त खुलासा हुआ है। पीटीआई ने हवाले से यह खबर आयी है।
बोइंग अधिकारियों की बातचीत की रिकॉर्डिंग में खुलासा हुआ है, जिसमें वह कह रहे हैं कि भारत का DGCA सबसे कमअक्ल हैं। वहीं एक दूसरी बातचीत में बोइंग के अधिकारी कह रहे हैं कि ये मूर्ख हैं। बता दें कि बीते साल 2019 में बोइंग के 737 मैक्स प्लेन्स में तकनीकी खराबी आ गई थी। जिसके बाद दुनिया के कई देशों ने इन विमानों के संचालन पर रोक लगा दी थी। भारत में स्पाइसजेट के पास ही 737 मैक्स एयरक्राफ्ट हैं, तकनीकी खामी के बाद स्पाइस जेट को भी अपने 13, 737 मैक्स प्लेन की उड़ानों पर रोक लगा दी थी।
जब इस बारे में शुक्रवार को डीजीसीए के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि “सिमुलेटर ट्रेनिंग को लेकर हमारा रुख साफ है कि ट्रेनिंग इंडिया में ही हमारी आंखों के नीचे होगी।” बता दें कि साल 2017 में डीजीसी ने बोइंग के अधिकारियों से पूछा था कि जो पायलट 737 मैक्स प्लेन को उड़ाएंगे, क्या उनके लिए सिमुलेटर ट्रेनिंग जरूरी होगी? हालांकि उस वक्त सिमुलेटर ट्रेनिंग को लेकर बात आगे नहीं बढ़ पायी थी।
इसके बाद जब 2019 में बोइंग के 737 मैक्स विमानों में तकमीकी खामी आने के बाद उनकी उड़ानों पर दुनिया भर में रोक लगायी गई, तो डीजीसीए ने स्पष्ट कर दिया कि बोइंग को पायलटों को सिमुलेटर ट्रेनिंग देनी ही होगी, उसके बाद ही इन विमानों को उड़ान की मंजूरी दी जाएगी।
बहरहाल बोइंग अधिकारियों द्वारा डीजीसीए के अधिकारियों को बेवकूफ बताए जाने के मुद्दे पर कंपनी ने इस पर खेद जताया है और डीजीसीए, स्पाइसजेट से माफी मांगी है। कंपनी ने कहा कि इस कम्यूनिकेशन में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है, वह बोइंग के मूल्यों को नहीं दर्शाता है। कंपनी ने इस मामले में कार्रवाई करने की बात कही है।