उरी हमले के आरोप में गिरफ्तार किए गए दो पाकिस्तानी नाबालिगों को रिहा किया गया है। बुधवार को एनआईए ने कोर्ट में बताया कि दोनों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं, जिसके बाद उन्हें बरी कर दिया गया। पीओके स्थित कूमी कोट के पास पोथा जंडग्रान गांव के फैसल हुसैन अवान और मुजफ्फराबाद के हातियान बाला तहसील के उसके स्कूल के दोस्त अहसान खुर्शीद को भारतीय सेना का सौंप दिया गया है। सेना अब पाकिस्तान प्रशासन को दोनों नाबालिगों को सौंप देगी। इंडियन एक्सप्रेस ने दिसंबर में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि गलती से एलओसी पार करने वाले मुजफ्फराबाद के शाहीन मॉडल स्कूल के कक्षा दस के दोनों नाबागिक सबूतों के मुताबिक आतंकी नहीं हैं।

एनआईए अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने अपने उस अधिकार का इस्तेमाल किया, जिसके तहत अगर किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलता है तो पुलिस अधिकारी उन्हें रिहा कर सकते हैं। एनआईए ने जम्मू में कोर्ट अपने फैसले के बारे में बताया। फैसल हुसैन और अहसान खुर्शीद पर पिछले साल उरी में आर्मी कैंप पर हुए हमले में आतंकियों की मदद करने का आरोप था लेकिन एनआईए के पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाने की वजह से यह फैसला लिया गया है। एजेंसी ने दोनों के खिलाफ जांच रिपोर्ट बंद करने का फैसला किया था। दोनों के खिलाफ भारतीय सेना को दिए गए बयान के अलावा कोई और पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए।

अवान के भाई गुलाम मुस्तफा तबस्सुम ने बताया कि दोनों नाबालिगों के परिवार अपने बच्चों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने तक उन्हें नहीं पता था कि भारतीय सेना उन्हें वापस कब सौंपेगी। उसने बताया, ‘मैं कैसे बयान करूं, दवा का असर खत्म होने के बाद मेरी मां हर रोज रात में 2-3 बजे रोने लगती थी। लोग उन्हें चुप कराने के लिए इकट्ठे होते थे, लेकिन कुछ कर नहीं पाते थे, बल्कि वे भी रोने लगते थे।’

बता दें, उरी अटैक के तीन दिन बाद 21 सितंबर को भारतीय सेना ने दो पाकिस्तानी नाबालिगों को गिरफ्तार किया था। इस हमले में 19 जवानों की मौत हो गई थी। सेना के प्रवक्ता ने कहा था कि पीओके के दो नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है, जो कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करते हैं।