UPSC की परीक्षा में बड़ा बदलाव किया गया है। इस बदलाव के तहत जो अभ्यर्थी किन्हीं कारणवश परीक्षा नहीं देना चाहते तो अब से वह परीक्षा से नाम वापस ले सकेंगे। बता दें हर साल करीब 10 लाख अभ्यर्थी यूपीएससी की परीक्षा के लिए अप्लाई करते हैं, लेकिन उनमें से आधे अभ्यर्थी ही परीक्षा में उपस्थित रह पाते हैं। यही वजह है कि अब यूपीएससी ने परीक्षा में इस बदलाव को हरी झंडी दी है। अगले साल यानि कि 2019 में होने वाली इंजीनियरिंग सर्विस एग्जामिनेशन से इस बदलाव को लागू किया जाएगा। सोमवार को यूपीएससी के 92वें स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन अरविंद सक्सेना ने इस बदलाव की जानकारी दी।
अरविंद सक्सेना ने बताया कि ‘कमीशन इस परीक्षा के लिए अप्लाई करने वाले सभी अभ्यर्थियों के लिए स्थान बुक करता है, पेपर प्रिंट कराता है, निरिक्षकों को नियुक्त करता है। जबकि परीक्षा के लिए आधे अभ्यर्थी ही परीक्षा केन्द्र पहुंचते हैं। इससे रिसोर्स और ऊर्जा का काफी नुकसान होता है।’ बताया जा रहा है कि परीक्षा के लिए रजिस्टर्ड अभ्यर्थी जब परीक्षा से हटने के लिए एप्लीकेशन फॉर्म भरेंगे तो उन्हें एक कंफर्मेशन मैसेज उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर भेजा जाएगा। एक बार अभ्यर्थी जब परीक्षा से नाम वापस ले लेंगे तो वह फिर वह चाहें भी तो उस साल परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। सक्सेना ने कहा कि कमीशन इस दिशा में काम कर रहा है कि वह सही और परीक्षा के लिए गंभीर अभ्यर्थियों के साथ ही काम करे, ताकि उन्हें और बेहतर सुविधाएं दी जा सकें और हमारा सिस्टम भी ज्यादा प्रभावी हो सके।
अरविंद सक्सेना ने बताया कि 2019 में आयोजित होने वाली इंजीनियरिंग सर्विस एग्जामिनेशन से इस बदलाव की शुरुआत की जाएगी और फिर इस व्यवस्था को अन्य परीक्षाओं में भी लागू किया जाएगा। यूपीएससी, भविष्य में लिखित परीक्षा के बजाए कंप्यूटर बेस्ड परीक्षा आयोजित कराने पर भी विचार कर रहा है। बता दें कि यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन हर साल त्रिस्तरीय परीक्षा का आयोजन करता है। इस परीक्षा में प्रीलिमनरी परीक्षा, मेन्स परीक्षा और आखिर में इंटरव्यू का आयोजन किया जाता है। इन परीक्षाओं चयनित अभ्यर्थी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस जैसे बड़े पदों के लिए नियुक्त किए जाते हैं।

