राष्ट्रीय गंगा परिषद् की पहली बैठक में शनिवार को कानपुर में हुई। परिषद् के गठन के तीन साल बाद पहली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ”नमामि गंगे” की परियोजनाओं कि स्थिति पर चर्चा की। बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में गंगा स्वच्छता का सांस्कृतिक यज्ञ चल रहा है।

आज ”राष्ट्रीय गंगा परिषद” आगे की नीति-रणनीति पर विचार कर रही है।’ उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा कि ‘वह दिन अब दूर नहीं कि जब गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक, हर जगह माँ गंगा निर्मल, अविरल, निर्झर होंगी। काशी हो, प्रयाग हो या कानपुर हर कहीं गंगाजल आचमन योग्य होगा। ”नमामि गंगे” परियोजना के माध्यम से हर भारतीय का यह स्वप्न पूरा होगा।

बैठक में पांच राज्यों उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में गंगा की स्थिति को लेकर मंथन किया गया। प्रधानमंत्री ने इन प्रदेशों में गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए अभी तक जो भी कार्य हुए हैं, उनकी समीक्षा की।

प्रधानमंत्री ने ’स्वच्छता’, ‘अविरलता’ और ‘निर्मलता’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए गंगा नदी की स्वच्छता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर किए गए कार्यों की प्रगति की समीक्षा करते हुए विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि मां गंगा उपमहाद्वीप की सबसे पवित्र नदी है और इसके कायाकल्प को सहयोगात्­मक संघवाद के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा का कायाकल्प देश के लिए दीर्घकाल से लंबित चुनौती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2014 में ”नमामि गंगे” का शुभारंभ करने के बाद इस दिशा में बहुत कुछ किया है। इससे प्रदूषण उन्मूलन, गंगा का संरक्षण और कायाकल्प, कागज मीलों से रद्दी को पूर्ण रूप से समाप्­त करने और चमड़े के कारखानों से होने वाले प्रदूषण में कमी जैसी उपलब्धियों को प्राप्त करने  में मदद मिलेगी।

इस उद्देश्य के साथ विभिन्न सरकारी प्रयासों और गतिविधियों को एकीकृत करने की एक व्यापक पहल के रूप में परिलक्षित है, लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना शेष है।