Union Public Service Commission (UPSC) ने ऐसे कैंडिडेट्स के लिए एक बहुत बड़ी पहल शुरू की है जो सिविल सेवा परीक्षा में रिटन एग्जाम यानि लिखित परीक्षा तो पास कर लेते हैं लेकिन इंटरव्यू के बाद भी उनका नाम फाइनल लिस्ट में नहीं आ पाता। ऐसी एक कहानी 32 साल के अरुण की भी है। अरुण ने कई साल तक UPSC की तैयारी की लेकिन फाइनल लिस्ट में सलेक्शन ना हो पाने की वजह से उन्हें दिल्ली के पब्लिक स्कूल में एक छोटी सी नौकरी करनी पड़ी।

अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसकी अरुण को भी उम्मीद नहीं थी। उन्हें एक प्राइवेट कंपनी से कॉल आया। इस कंपनी ने UPSC में उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर उन्हें अच्छी सैलरी वाली नौकरी दी।

अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर ऐसा कैसे हो गया? अरुण को प्राइवेट कंपनी ने कॉल क्यों किया और उन्हें उनके बारे में जानकारी कहां से मिली? ऐसा UPSC की Public Disclosure Scheme (PDS) की वजह से हुआ और अब इसे Pratibha Setu कहा जाता है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो अरुण को UPSC की परीक्षाओं के दौरान की गई उनकी मेहनत का पूरा फल मिला।

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UPSC ने क्यों शुरू की योजना?

एक सवाल यह भी है कि UPSC ऐसा क्यों कर रहा है? UPSC हर साल लगभग 6400 लोगों का अलग-अलग सरकारी नौकरियों के लिए चुनाव करता है लेकिन ऐसे करीब 26000 उम्मीदवार होते हैं जो लिखित परीक्षा तो क्वालीफाई कर लेते हैं और यह परीक्षा पास करना वाकई बेहद मुश्किल होता है लेकिन ऐसे लोग इंटरव्यू में नहीं पास हो पाते। अरुण भी ऐसे ही लोगों में से थे।

ऐसे ही कैंडिडेट्स के लिए UPSC ने यह योजना शुरू की है। UPSC ऐसे कैंडिडेट्स की जानकारी एक पोर्टल पर डाल देता है और इसके लिए कैंडिडेट्स की अनुमति लेना जरूरी होता है। इस पोर्टल पर सरकारी के साथ ही प्राइवेट कंपनियां भी आती हैं और कैंडिडेट्स के बारे में इनफॉरमेशन लेती हैं। इस पोर्टल पर ऐसे कैंडिडेट्स के बारे में थोड़ा बहुत जानकारी जैसे उनकी एजुकेशनल क्वालीफिकेशन, कांटेक्ट नंबर, percentile आदि होती हैं।

प्राइवेट कंपनियों को भी मिलेगा फायदा

कंपनियां पोर्टल से ऐसे कैंडिडेट्स के बारे में जरूरी जानकारी लेकर उन्हें नौकरी के लिए बुला सकती हैं। इससे ऐसे कैंडिडेट्स को बहुत बड़ा मौका मिलेगा जो लिखित परीक्षा पास करने के बावजूद भी अच्छी सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर सके। अब उन्हें भी उनकी क्वालीफिकेशन के मुताबिक, अच्छी नौकरियां मिलेंगी और प्राइवेट कंपनियों को भी पढ़े-लिखे कैंडिडेट्स मिलेंगे।

इस योजना के लिए जिन कंपनियों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना है उन्हें UPSC से कांटेक्ट करना होता है और एक लॉग इन जनरेट करना होता है। यूपीएससी की ओर से यह योजना 2018 में शुरू की गई थी।

PDS योजना के लिए जिन कंपनियों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना है उन्हें UPSC से कांटेक्ट करना होता है और एक लॉग इन जनरेट करना होता है। यूपीएससी की ओर से यह योजना 2018 में शुरू की गई थी।

UPSC रखता है नजर

UPSC इस मामले पर खुद भी नजर रखता है। कैंडिडेट्स को शॉर्टलिस्ट किए जाने के बाद से लेकर अपॉइंटमेंट लेटर जारी होने तक और उनकी सलेक्शन प्रोसेस पर UPSC की नजर रहती है।

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