Triple Talaq Bill: तीन तलाक बिल पर मंगलवार को राज्यसभा में चर्चा करते हुए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि 33 साल पहले कांग्रेस सरकार को शाहबानो मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद एक मौका मिला था। दोनों सदनों में उसके पास खासी संख्या थी लेकिन वह न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए विधेयक लेकर आयी थी। उन्होंने कहा कि यह सरकार सभी की चिंता करती है, इसलिए यह विधेयक लेकर आयी है। उन्होंने सरकार द्वारा पिछले पांच साल में शुरू की गयी विभिन्न योजनाओं का जिक्र किया और कहा कि यह सरकार समाज के सभी तबकों की चिंता करती है। उन्होंने कहा कि यह सरकार समावेशी सोच के साथ काम करती है।

उन्होंने कहा कि मिस्र, तुर्की सहित कई देशों ने कई दशक पहले ही इसे गैर-कानूनी और गैर-इस्लामी घोषित कर दिया था। अंग्रेजों ने 1937 में ‘‘बांटो और राज करो’’ की नीति के तहत धर्म के आधार पर पर्सनल लॉ को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि कई देशों में समान नागरिक संहिता लागू है। अपने यहां गोवा में यह काफी हद तक काम कर रही है। नकवी ने कहा कि इस बात पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस और चर्चा होनी चाहिए कि एक देश और एक कानून की व्यवस्था हो।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन किया था लेकिन राज्यसभा आते आते उसका विचार कैसे बदल गया? उन्होंने कहा कि सरकार ने विपक्ष के कई सुझावों को मान लिया है। कांग्रेस से विधेयक का समर्थन करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि आज मौका है कि पिछली गलतियों को सुधार लिया जाए।

इससे पहले कानून मंत्री प्रसाद ने कहा कि इसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक फैसले में इस प्रथा को अवैध ठहराया गया। लेकिन उसके बाद भी तीन तलाक की प्रथा जारी है। प्रसाद ने कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक चश्मे या वोट बैंक की राजनीति के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिये। यह मानवता और इंसानियत का सवाल है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा नारी गरिमा, नारी न्याय और नारी उत्थान से भी जुड़ा हुआ है।

उन्होंने आज के दिन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि 20 से ज्यादा इस्लामी देशों ने अपने यहां इस प्रथा पर रोक लगा दी है। उन्होंने विधेयक की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि तीन तलाक की पीड़ित कुछ महिलाओं द्वारा उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर शीर्ष अदालत ने इस प्रथा को गलत बताया। इसके साथ ही इस संबंध में कानून बनाने की बात कही गई। प्रसाद ने कहा कि 2017 से अब तक तीन तलाक के 574 मामले सामने आये हैं। इस बारे में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी ऐसे 345 मामले आए और अध्यादेश जारी करने के बाद भी 101 मामले आए हैं। प्रसाद ने कहा कि इस विधेयक में जमानत के साथ ही समझौते का भी प्रावधान किया गया है।