सन्नी वर्मा, अनिल सासी

बजट में अमीरों पर ज्यादा सरचार्ज लगाने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार का एक धड़ा ही सहमत नजर नहीं आ रहा। उनका मानना है कि सरकार के इस कदम से नए निवेशक हतोत्साहित होंगे और ज्यादा संपत्ति वाले लोगों के भारत छोड़ने का ट्रेंड और बढ़ जाएगा। बता दें कि हालिया बजट का फोकस इस बात पर है कि देश में सुस्त पड़ते निवेश को निजी भागेदारी के जरिए रफ्तार दी जाए। हालांकि, अमीरों पर सरचार्ज के इस प्रस्ताव को इससे ठीक उलट कदम माना जा रहा है।

एनडीए सरकार के एक शीर्ष नीति निर्माता ने नाम न सार्वजनिक किए जाने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सरचार्ज का निवेश पर बेहद बुरा असर पड़ेगा। इससे ‘यूनिकॉर्न’ यानी वे टेक स्टार्टअप कंपनियां जिनकी मार्केट वैल्यू 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा है, हतोत्साहित होंगे। इसके अलावा, उच्च आय वर्ग वालों की संख्या देश में बढ़ने पर भी बुरा असर पड़ेगा।

अधिकारी ने कहा, ‘अगर हम 2 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोगों पर ज्यादा सरचार्ज लगाएंगे तो मुमकिन है कि फिर वे भारत में निवेश न करना चाहें और देश छोड़कर कहीं और बसने पर विचार करें। उम्मीद है कि इन प्रस्तावों में कुछ बदलाव किए जाएंगे जब वित्त मंत्री संसद में फाइनेंस बिल पर जवाब देंगी।’

बता दें कि सरकार को उम्मीद है कि सुपर रिच श्रेणी के टैक्सदाताओं पर सरचार्ज लगाकर 12 हजार करोड़ का अतिरिक्त रेवन्यू हासिल होगा। हालांकि, एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि इसका उलटा असर निवेश पर पड़ेगा। नए टैक्स की वजह से इनवेस्टमेंट ट्रस्टों के जरिए होने वाले निवेश पर बुरा असर पड़ेगा। इन इनवेस्टमेंट ट्रस्टों के जरिए विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं।

अधिकारी ने कहा कि सरकार को नॉर्वे जैसे विकसित देशों की टैक्स दरों से तुलना करते हुए यह तर्क नहीं देना चाहिए कि हमारे यहां अपेक्षाकृत कम दर है। अधिकारी के मुताबिक, सरकार को तुलना चीन, इंडोनेशिया और साउथ कोरिया जैसे देशों से करना चाहिए, जो निवेशकों को प्रतिस्पर्धात्मक टैक्स दर उपलब्ध कराते हैं। जहां तक नॉर्वे का सवाल है, वहां प्रति व्यक्ति आय बेहद ज्यादा है, सामाजिक सुरक्षा का दायरा काफी बड़ा है और निवेशकों को वे कई दूसरे फायदे मिलते हैं, जो भारत में नहीं हैं।