Two-child Policy India Debate: भारत में पिछले कुछ सालों में ‘हम दो-हमारे दो’ का नारा चर्चा में रहा है। यह नारा इसलिए दिया गया था क्योंकि भारत की बढ़ती आबादी पर रोक लगाई जा सके लेकिन अब एक नई चर्चा शुरू हो गई है कि ज्यादा बच्चे पैदा किए जाने चाहिए। रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में तीन बच्चे पैदा करने की वकालत की जबकि दक्षिण भारत में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश के राज्य ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात कह चुके हैं।
इसी साल अक्टूबर में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा था कि दक्षिण में विशेषकर आंध्र प्रदेश में लोगों को कम से कम दो या उससे ज्यादा बच्चे पैदा करने चाहिए जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने तो 16 बच्चे पैदा करने तक की बात कह दी थी।
गिरती जनसंख्या दर और कम बच्चे होने के साथ ही आबादी के जल्दी बूढ़ा होने को लेकर दक्षिण भारत में ज्यादा चिंता जताई जा रही है।

भारत में फर्टिलिटी रेट यानी प्रजनन दर लगातार गिरती जा रही है और इस वजह से देश में वृद्धावस्था यानी बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक हर पांच में से एक शख्स 60 साल या इससे अधिक की उम्र का होगा और दक्षिण के राज्यों में इसका असर कहीं ज्यादा होगा और इससे नायडू और स्टालिन की चिंता को समझा जा सकता है।
तेलंगाना को बच्चों, युवाओं की जरूरत
कुछ दिन पहले ही आंध्र प्रदेश की सरकार ने टू चाइल्ड पॉलिसी को खत्म कर दिया था। इस पॉलिसी के तहत दो या उससे ज्यादा बच्चे वालों के स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर रोक थी और अब यह माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश का पड़ोसी राज्य तेलंगाना भी ऐसा कर सकता है। तेलंगाना सरकार के एक आला सरकारी अफसर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस संबंध में जल्द ही कैबिनेट की होने वाली बैठक में प्रस्ताव लाया जा सकता है। अफसर ने बताया कि हमारे पास ऐसे बहुत सारे ठोस तथ्य हैं, जो बताते हैं कि हम उस वक्त की ओर बढ़ रहे हैं जब राज्य की आबादी बूढ़ी हो जाएगी और 2047 तक तेलंगाना को अधिक युवाओं और बच्चों की जरूरत होगी।
आंध्र प्रदेश की सरकार ने जब टू चाइल्ड पॉलिसी को रद्द किया था तो कम प्रजनन दर और लोगों की बढ़ती उम्र को लेकर चिंता जताई थी। आंध्र प्रदेश के सूचना और जनसंपर्क मंत्री पार्थसारथी ने पिछले महीने कहा था कि आंध्र का टोटल फर्टिलिटी रेट टीएफआर बेहद कम है। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय स्तर पर टीएफआर 2.11 है, जबकि आंध्र में यह केवल 1.5 है।

India Ageing Report 2023 को समझिए
यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड और और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (IIPS) की ओर से तैयार की गई India Ageing Report 2023 के मुताबिक आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में बुजुर्गों की आबादी न केवल उत्तर भारत के राज्यों जैसे- बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश की तुलना में पहले से ही ज्यादा है बल्कि 2021 और 2036 के बीच यह और अधिक दर से बढ़ेगी।
India Ageing Report 2023 के मुताबिक प्रति 100 बच्चों (15 वर्ष से कम) पर बुजुर्गों (60 वर्ष से अधिक) की संख्या मध्य और पूर्वोत्तर क्षेत्रों की तुलना में दक्षिण और पश्चिम में अधिक होगी। दक्षिणी राज्यों में 2036 तक प्रति 100 बच्चों पर 61.7 बुजुर्ग होंगे, वहीं जम्मू -कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान में कुल मिलाकर यह संख्या प्रति 100 बच्चों पर 38.9 बुजुर्ग होगी।

कैसे बनी टू चाइल्ड पॉलिसी?
टू चाइल्ड पॉलिसी तब अस्तित्व में आई थी जब यह पता चला था कि 1981 और 1991 की जनगणना के बीच जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं दे रहे थे। राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) ने इस मामले में एक समिति बनाई थी जिसकी अध्यक्षता उस समय केरल के मुख्यमंत्री के. करुणाकरण ने की थी। समिति ने सुझाव दिया था कि जिन लोगों के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें पंचायत से लेकर संसद तक सरकारी पदों पर रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 13 राज्यों ने इस नीति को लागू किया था।
अगर इसे खत्म कर दिया जाता है, तो तेलंगाना इस नीति को खत्म करने वाला देश का छठा राज्य बन जाएगा। आंध्र प्रदेश से पहले छत्तीसगढ़ , हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश ने इसे खत्म कर दिया था।
परिसीमन को लेकर क्यों डरे हुए हैं दक्षिण के राज्य?
साल 2026 में देश भर में लोकसभा सीटों का परिसीमन होना है और दक्षिण भारत के राज्यों को इस बात का डर है कि परिसीमन में उत्तर भारत में लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ सकती है जबकि दक्षिण की हिस्सेदारी कम हो सकती है। देश भर में लोकसभा सीटों की सीमाएं और उनकी संख्या आबादी के हिसाब से तय की जाती हैं।
उत्तर भारत में चूंकि राज्य ज्यादा हैं और आबादी भी ज्यादा है इसलिए यहां लोकसभा की सीटें बढ़ेंगी और निश्चित रूप से इससे संसद में उनकी आवाज दक्षिण के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत होगी।
अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे: केटी रामा राव
चंद्रबाबू नायडू के अलावा तेलंगाना में 10 साल तक सरकार चलाने वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में बताया था कि परिसीमन के रूप में किसी भी तरह के अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दक्षिण भारत के लोग इसके खिलाफ एकजुट होंगे। उन्होंने कहा था कि उन्हें ऐसी उम्मीद है कि केंद्र सरकार लोकसभा सीटों की संख्या को लेकर किसी तरह की गड़बड़ी नहीं करेगी।