मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत (Muzaffarnagar Mahapanchayat) के दौरान प्रसिद्ध टीवी एंकर चित्रा त्रिपाठी (Chitra Tripathi) के विरोध का मामला सामने आया है। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर किया जा रहा है। वायरल हो रहे इस वीडियो के अनुसार भीड़ द्वारा एंकर (Chitra Tripathi) और कैमरा मैन का घेराव किया जाता है। जब एंकर वहां से निकलती हैं तो पीछे कुछ लोग भी चलने लगते हैं। इनके हाथ में किसान संगठनों के झंडे भी दिखाई दे रहे हैं। किसानों द्वारा गोदी मीडिया हाय-हाय के नाके भी लगाए जा रहे थे। आगे चल रही चित्रा त्रिपाठी (Chitra Tripathi) के साथ एक किसान की झड़प भी होती है।
इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद कई मीडिया संगठनों से जुड़ पत्रकारों ने नाराजगी जताई है। पत्रकार सुशांत सिन्हा ने विरोध कर रहे लोगों को गुंडा करार देते हुए इस विरोध प्रदर्शन की निंदा की है। सिन्हा ने ट्वीट कर कहा कि एक महिला पत्रकार को घेरकर अपने ‘किसान’ होने का परिचय देते गुंडे।
इस वीडियो के सामने आते ही चित्रा त्रिपाठी (Chitra Tripathi) ट्विटर पर ट्रेंड करने लगीं। एक पक्ष जहां इस हमले की निंदा कर रहा है तो दूसरा धड़ा मीडिया की निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़े कर रहा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं: @Ch0udhary_Sahab नाम के यूजर ने चित्रा त्रिपाठी (Chitra Tripathi) के उस ट्वीट की याद दिलाई, जब किसानों के खिलाफ बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था। यूजर ने लिखा कि उस रात को याद कीजिए जब आप गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन की आखिरी रात बता रही थीं। वहीं @Drjchauhan11 नाम के यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा कि सामूहिक छेड़छाड़ बहादुरी नहीं है।
@sankulyaa नाम के यूजर ने लिखा कि चित्रा त्रिपाठी के साथ जो हुआ, वह दुखद है लेकिन शायद वह इस बात को समझें कि अपने स्टूडियो में बैठकर किसानों को देशद्रोही बताना कितना आसान है। उन्होंने कहा कि किसी पार्टी का प्रवक्ता बनना आसान है लेकिन आम इंसान बनना उतना ही मुश्किल। दूसरी तरफ @ParmodK15230523 नाम के यूजर चित्रा त्रिपाठी की बहादुरी की तारीफ करते हुए लिखा कि कि किसानों के विरोध के बावजूद इवेंट को कवर करना वाकई बहादुरी है।
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में रविवार सुबह अलग-अलग राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में होने वाली किसान महापंचायत के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे थे। अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस आयोजन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बताते चलें कि ‘किसान महापंचायत’ का आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किया जा रहा है।