कोलकाता उपनगर में अब इंसानों की तरह पेड़ों को भी पहचान पत्र दिये जा रहे हैं। जलवायु परिर्वतन का मुकाबला करने में पेड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका का आकलन करने के लिए एक परियोजना के तहत अधिकारियों ने पेड़ों की 28 किस्मों के लिए पहचान पत्र जारी किये हैं।

इस परियोजना की अगुवाई कर रहे पर्यावरणविद अभिजीत मित्रा ने बताया, ‘हमारे मतदाता पहचान पत्र की तरह ही, पेड़ के आईडी में पेड़ों की प्रजातियों के स्थानीय नाम, वैज्ञानिक नाम, इसके स्थान की भौगोलिक निर्देशांक, तस्वीर, वजन और लकड़ी का घनत्व आदि जैसे विवरण रहेंगे।’

कोन्नगर नगर पालिका के अध्यक्ष बप्पदित्य चटर्जी ने बताया कि अब तक ऐसे 3,000 पहचान पत्र जारी किये जा चुके हैं जिन्हें पेड़ों पर लगाया गया है। पहचान पत्र देखने के बाद कोई भी व्यक्ति यह समझ जाएगा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में पेड़ों का योगदान क्या है क्योंकि पेड़ पौधे वायुमंडल से कार्बन का शोषण करते हैं।

भारत में इस तरह का यह पहला प्रयोग होेने का दावा करते हुये चटर्जी ने कहा, ‘‘हमें जीवित रहने के लिए सबसे पहले ऑक्सीजन की जरूरत होती है जो हमें पेड़ों से मिलती है। दूसरी बात की पेड़ कार्बन अवशोषित कर लेता है लेकिन अवशोषण का अनुपात हर प्रजाति के लिए अलग अलग होता है और ऐसे में हमारे लिए उनका खाका तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण है।’

हालांकि, यहां से लगभग 25 किलोमीटर दूर पड़ोस के हुगली जिले में स्थित उपनगरों में पेड़ों की कुल 53 प्रजातियां मिली हैं। इनमें से 28 प्रजातियों के पेड़ अधिक हैं और पेड़ों की कुल संख्या में उनका 70 फीसदी हिस्सा है। इनमें नीम, पीपल, बरगद, राधाचूरा, कृष्णाचूरा, इमली, नारियल आदि प्रमुख हैं।