तिरुपति प्रसाद में मिलावट के मामले में आंध्र प्रदेश सरकार ने एसआईटी गठित कर दी है। एक 9 सदस्य की टीम बना दी गई है जो अब इस मामले की जांच करने वाली है। कई दिनों से इस मामले को लेकर विवाद की स्थिति है, केंद्र सरकार ने भी संज्ञान लिया है। अब उसी कड़ी में एसआईटी का बनना मायने रखता है, अब ये टीम ही पता लगाएगी कि आखिर किस वजह से कथित मिलावट का खेल चल रहा था, आखिर क्यों प्रसाद की क्वालिटी के साथ खिलवाड़ किया गया।

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वैसे इस मामले को लेकर सबसे सीएम चंद्रबाबू नायडू ने ही उठाने का काम किया था। उन्होंने दावा कर दिया था कि तिरुपति प्रसाद के लिए जिस घी का इस्तेमाल होता है, उसमें जानवरों की चर्बी मिली है। उनकी तरफ से लैब की रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया था। उसके बाद से ही यह मामला तूल पकड़ता चला गया और इस पर राजनीति भी शुरू हो गई। कुछ दिन पहले तो यहां तक कहा गया कि अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए जो लड्डू मंगवाए गए थे, वो तिरुपति से ही आए थे। इसी वजह से केंद्र ने भी मामले की गंभीरता को समझा और अब राज्य सरकार की तरफ से एसआईटी का गठन हुआ है।

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद को लेकर क्यों चल रहा विवाद?

ये प्रसाद बनता कैसे है?

अब इस प्रसाद को लेकर विवाद तो हो रहा है, लेकिन इससे पहले तक जब भी खबरें आती थी, जिक्र सिर्फ उस प्रसाद की भव्यता का होता था। अब इस प्रसाद को लेकर बताया जाता है कि इसे एक स्पेशल किचन में तैयार किया जाता है, आंध्र प्रदेश में इसे Potu के नाम से जानते हैं। वही प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी भी एक खास वर्ग को दी जाती है जो पिछली कई सदियों से इसी काम को करते आ रहे हैं, यानी कि उन लोगों के लिए यह संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। ब़ड़ी बात यह है कि जो इस प्रसाद को बनाते हैं, उन्हें अपना सिर मुंडवाना पड़ता है, सिर्फ एक सिंगल कपड़ा पहनने की अनुमति रहती है। इस प्रसाद को बनाने के लिए घी के अलावा, चना बेसन, चीनी, चीनी के छोटे टुकड़े, काजू, इलायची, कपूर और किशमिश का उपयोग होता है। यह प्रसाद इतना खास है कि 2014 में इसे GI टैग भी मिल चुका है।

प्रसाद का इतिहास क्या है?

भगवान वेंकटेश्वर को प्रसाद का भोग लगाने की पृथा आज से 300 साल पुरानी है। तिरुपति में जो मंदिर है, वहां पर 1715 से ही भक्तों को लड्डू का प्रसाद दिया जा रहा है। यह एक ऐसी परंपरा है जो लगातार चली आ रही है, इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। जानकार मानते हैं कि इसी वजह से इस प्रसाद की अहमियत ज्यादा है।