वन अधिनियम के तहत उल्लंघन मिलने पर होने वाली सजा के प्रावधान को केंद्र सरकार खत्म करने जा रही है। इसके लिए भारतीय वन अधिनियम 1927 में के कुछ प्रावधानों में शोधन किया जाएगा। नए प्रावधान में उल्लंघन पाए जाने की स्थिति में केवल 500 रुपए के जुर्माने का प्रावधान ही रहेगा। मंत्रालय ने इस संशोधन प्रस्ताव का मसविदा तैयार किया है और आम जनता से इस पर सुझाव मांगे हैं।

वर्तमान में लागू भारतीय वन अधिनियम 1927 अपने प्रावधानों के तहत वन क्षेत्रों में नियमों का उल्लंघन पाए जाने की स्थिति में जेल की सजा और जुर्माना प्रावधान लगाने का अधिकार देता है। प्रावधान में बदलाव के लिए मंत्रालय ने अधिनियम की धारा 26 और 33 में बदलाव करने की सिफारिश की है। मंत्रालय के मुताबिक इन अधिकारों के दुरुपयोग के कारण इस अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है ताकि इससे आम जनता का उत्पीड़न रोका जा सकेगा। आम जनता से सुझाव की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद नए प्रावधानों को वन क्षेत्रों के लिए लागू किया जाएगा। मसविदे पर कोई भी नागरिक 31 जुलाई तक मंत्रालय को आनलाइन या सीधे मंत्रालय के पते पर अपने सुझाव भेज सकता है।

तय प्रावधानों के मुताबिक नए प्रावधानों में यदि कहीं पर आगजनी या पेड़ काटने जैसा मामला आता है तो उस स्थिति में संबंधित अधिकारी उल्लंघनकर्ताओं पर जुर्माना लगा सकता है। यह जुर्माना 500 रुपए होगा। इसके अतिरिक्त इस मामले में सजा बढ़ाने का अधिकार केवल अदालत के पास होगा। इसी प्रकार वन क्षेत्र में यदि पेड़ों की पत्तियां जलाने का भी मामला आता है तो उस स्थिति में जुर्माना 500 रुपए ही तय किया गया है। जबकि अधिनियम 1927 के तहत ऐसे मामलों में 6 माह तक की सजा और जुर्माना दोनों का भी प्रावधान है। संशोधन प्रस्ताव पर पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी महेश कुमार ने जनता से सुझाव क लिए आदेश जारी किए हैं।