वैसी कंपनिया जो किसी व्यक्ति को गोरा बनाने, गंजेपन दूर करने, लंबाई बढ़ाने इत्यादि जैसी चीजों के लिए अपने प्रोडक्ट या दवा का विज्ञापन करती हैं, उनके ऊपर सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है। गोरा बनाने वाली क्रीम, गंजेपन दूर करने वाले तेल या एंटी एजिंग क्रीम के विज्ञापनों में शामिल लोगों को दो साल जेल हो सकती है और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) (संशोधन) विधेयक, 2020 के नए मसौदे के तहत पहली बार अपराध के मामलों में 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और दो साल तक की जेल की सजा का प्रस्ताव रखा गया है। इसके बाद भी यदि कोई गलती करता है तो सजा बढ़कर पांच साल जेल और जुर्माना 50 लाख रुपये तक हो सकता है।

पहले 1954 के इस अधिनियम के तहत पहली बार दोषी पाए जाने पर छह महीने तक की सजा का प्रावधन था। इसमें जुर्माना या कारावास दोनों हो सकता था और नहीं भी। दूसरी बार गलती करने पर एक साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया था। नए संशोधन में “किसी भी ऑडियो या विजुअल प्रचार (लाइट, साउंड, स्मोक, गैस, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इंटरनेट या वेबसाइट) का विस्तार किया गया है।

इसमें कोई नोटिस, सर्कुलर, लेबल, रैपर, चालान, बैनर, पोस्टर या ऐसे अन्य दस्तावेज जो प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें भी शामिल किया गया है।” यह अधिनियम किसी भी दवा के संदर्भ में विज्ञापनों के प्रकाशन में “किसी भी भाग” को शामिल करने से रोकता है जो गर्भपात को प्रेरित करने या गर्भधारण को रोकने जैसे काम को ‘बढ़ावा’ देते हैं।

संशोधित अधिनियम में उन विज्ञापनों को भी प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है जो एड्स, ब्रोन्कियल अस्थमा, कुछ प्रकार के कैंसर, भ्रूण के लिंग परिवर्तन, यौन नपुंसकता, शीघ्रपतन और शुक्राणु वृद्धि सहित 78 बीमारियों, विकारों या समस्याओं के निदान, उपचार, या रोकथाम के बारे में बात करते हैं। पिछले अधिनियम ने ऐसे 54 रोगों, विकारों और समस्याओं को शामिल किया था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन संशोधनों के लिए 45 दिनों के भीतर सुझाव, टिप्पणियां या आपत्तियां मांगी हैं।