क्षयरोग (टीबी) से बचाव के लिए भारत सहित दुनिया के कई देशों में नवजातों को लगाया जाने वाला बीसीजी (बैसिलस कैमलेट-गुएरिन) का टीका कोरोना विषाणु संक्रमण को रोकने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। देश में बुजुर्गों, कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर और उनकी देखभाल करने वाले चिकित्साकर्मियों को यह टीका सबसे पहले लगाया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को यह सलाह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के आणविक चिकित्सा विशेष केंद्र के प्रोफेसर गोबर्धन दास ने दी है।
प्रोफेसर दास ने बताया कि टीबी रोग से बचाव के लिए 1921 में बीसीजी के टीके की शुुरुआत हुई थी। भारत सहित दुनिया के कई देशों में वर्तमान समय में भी नवजातों को यह टीका लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि जिन-जिन देशों में यह टीका आज भी लगाया जा रहा है, उन देशों में कोरोना विषाणु संक्रमण के कम मामले दर्ज हो रहे हैं।
प्रोफेसर दास ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक स्पेन में रविवार तक करीब 1.60 लाख लोग संक्रमित हो चुके थे और लगभग 16 हजार लोगों की मौत हो चुकी थी। वहीं, स्पेन के पड़ोसी पुर्तगाल में साढ़े पंद्रह हजार लोग संक्रमित और करीब साढ़े चार सौ लोगों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि दोनों पड़ोसी देशों में से पुर्तगाल में अभी भी बीसीजी का टीकाकरण होता है जबकि स्पेन काफी समय पहले इसे बंद कर चुका है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित देशों में अमेरिका, स्पेन, इटली, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस आदि में बीसीजी का टीका अनिवार्य नहीं है। इसके अलावा भारत सहित दक्षिण एशिया और अफ्रीका के सभी देशों में बीजीसी का टीका बच्चों को जन्म के समय ही लगाना अनिवार्य है, वहां कोरोना संक्रमण के कम मामले सामने आ रहे हैं।
प्रोफेसर दास का कहना है कि इससे साबित होता है कि बीसीजी का टीका कोरोना संक्रमण के खिलाफ काम कर रहा है। उनके मुताबिक इसको देखते हुए अमेरिका, हॉलैंड, जर्मनी और ब्रिटेन सहित कुछ देशों से बीसीजी का टीकाकरण शुरू किया है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि भारत में भी टीकाकरण शुरू करे।
अभी सभी लोगों को टीका लगाने की आवश्यकता नहीं है। शुरुआत में बुजुर्गों (संक्रमण का अधिक खतरा है) और कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों को लगाना चाहिए। उन्होंने बताया कि देश में कोरोना संक्रमण के लिहाज से तय किए गए संवेदनशील क्षेत्रों में सभी लोगों को यह टीका लगाया जा सकता है। प्रोफेसर दास ने बताया कि बीसीजी के एक टीके की कीमत मात्र दस रुपए होती है। यह हमारे देश में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और सबसे ऊपर इसका कोई विपरीत प्रभाव भी मानव शरीर पर नहीं पड़ता।
