Air India Flight Landing: एयर ट्रेवल पर रवाना होने से पहले विमान की सही तरह से जांच-परख की जाती है। इसके बाद भी कई ऐसे मामले सामने आ जाते हैं जब लोगों की जान पर बन आती है। ऐसी मुश्किल घड़ी में पायलट के धैर्य और उसकी सूझबूझ की परीक्षा होती है। कठिन हालातों में ही पायलट और क्रू मेंबर के बाकी सदस्यों की काबिलियत के बारे में पता चलता है। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट पर शुक्रवार शाम को एअर इंडिया की फ्लाइट में भी कुछ ऐसा ही हुआ। एअर इंडिया एक्सप्रेस की तिरुचलापल्ली से शारजाह जाने वाली फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग हुई।

त्रिचि इंटरनेशल एयरपोर्ट से टेकऑफ करते ही विमान में तकनीकी खराबी की बात सामने आई। विमान के पहिये में खराबी का पता चलने के बाद में पायलट के साथ में एयरपोर्ट पर तैनात सभी अधिकारियों में हड़कंप मच गया। पूरी त्रिचि एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। इतना ही नहीं फायर ब्रिगेड के साथ-साथ एबुलेंस को भी किसी इमरजेंसी से निपटने के लिए तैनात कर दिया गया। विमान को उतारने में बैली लैंडिंग की भी बात सामने आ रही है।

लैंडिंग कैसे हुई

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया का विमान 140 लोगों को लेकर त्रिची के शारजाह (Trichy Flight) जा रही थी। इस दौरान पायलट को इस बात की जानकारी मिली कि विमान का हाइड्रोलिक फेल हो गया है। इसकी वजह से विमान की सेफ लैंडिग करवा पाना आसान नहीं था। अगर विमान को ऐसे में लैंड किया जाता है तो उसमें इस बात का डर रहता है कि कहीं आग ना लग जाए।

Air India Express के प्लेन में आई थी तकनीकी खराबी, 2 घंटे की मशक्कत के बाद पायलट ने कराई सेफ लेंडिंग, 140 यात्रियों की बचाई जान

इसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए बेली लैंडिंग की जाती है। पायलट को इसके लिए विमान का ईधन खत्म करना होता है। पायलट के पास भी दो ऑप्शन होते हैं या तो फ्यूल को हवा में ही डंप कर दे या फिर फ्यूल को खत्म होने तक विमान का उड़ाता रहे। जब विमान का ईंधन खत्म हो जाता है तो पायलट विमान की लैंडिंग विमान के बेली को रनवे पर घिसकर उतारता है।

किस स्थिति में खराब होता है हाइड्रोलिक सिस्टम

विमान का हाइड्रोलिक सिस्टम एक जरूरी प्रणाली है। यह उड़ान के दौरान कई जरूरी कार्यों को कंट्रोल करता है। इसमें लैंडिंग गियर का संचालन, फ्लैप्स का मूवमेंट, एयरलॉन और रडर का कंट्रोल शामिल है। जब यह सिस्टम फेल होता है तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इससे उड़ान की सुरक्षा खतरे में आ जाती है। हाइड्रोलिक सिस्टम लीकेज, हाइड्रोलिक पंप की खराबी, फ्लुइड का प्रदूषण, ज्यादा टेंपरेचर, कंपोनेंट्स की टूट-फूट, सिस्टम का ओवरलोड की वजह से खराब हो सकता है।