हाल में ही हुए आंध्र प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जन सेना पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन को लेकर पार्टी के मुखिया और तेलुगू फिल्मों में पावर स्टार के नाम से मशहूर पवन कल्याण की खूब वाहवाही हो रही है। पवन कल्याण की पार्टी जन सेना पार्टी ने एनडीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा। गठबंधन में उनके हिस्से विधानसभा की 21 सीटें आई जबकि 2 लोकसभा सीट पर भी इन्होंने अपना प्रत्याशी उतारा। जब परिणाम आया तो जन सेना पार्टी के सभी प्रत्याशी चुनाव जीत चुके थे। इस जीत के साथ ही पार्टी जहां केंद्र की सरकार में अभिन्न भूमिका निभा रही है तो वहीं चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में बनी आंध्र सरकार में पवन कल्याण राज्य के उप मुख्यमंत्री बने हैं।

जन सेना पार्टी के इतिहास की बात करें तो साल 2014 में हुए चुनावों से ठीक पहले 14 मार्च 2014 को पार्टी की यात्रा शुरू हुई। हालांकि उस चुनाव में पार्टी ने औपचारिक तौर पर हिस्सा नहीं लिया। लेकिन तब भी पार्टी ने चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी और एनडीए गठबंधन को अपना समर्थन दिया था। पवन कल्याण ने एनडीए को अपना समर्थन इसलिए दिया था क्योंकि वाईएसआरसीपी राज्य में बड़ी ताकत बन रही थी। सूत्र बताते हैं कि जब आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग उस समय की बीजेपी सरकार ने खारिज तो साल 2018 में टीडीपी और जन सेना ने एनडीए से अलग होने का निर्णय किया।

2019 में हुए राज्य विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में जन सेना ने बहुजन समाज पार्टी और लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर भाग लिया था। इस चुनाव में पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा। उस चुनाव में पार्टी ने राज्य 137 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जिसमें केवल एक सीट पर जीत मिली जबकि पार्टी 18 लोकसभा सीटों पर भी बुरी तरह हारी। यहां तक की पार्टी के मुखिया और तेलगु फिल्मों के पावर स्टार पवन कल्याण भी खुद भीमावरण और गजुवाका विधानसभा सीटों से चुनाव हार गए। इसके बाद पार्टी का एक मात्र विधायक ने जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी में चला गया।

2019 में पार्टी को मिली करारी हार के बाद पवन कल्याण और मजबूती के साथ मैदान में उतरे। हालांकि पार्टी गठन के समय ही कल्याण ने 15 साल की चुनावी योजना लेकर आए थे। वो लोगों का विश्वास पैसे से नहीं बल्कि अपनी काबिलियत के दम पर जीतने के लिए मैदान में उतरे थे। इसलिए उनको हार और जीत का कोई गम नहीं था। वह अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल लगातार बढ़ाने और हौसला अफजाई करने में लगे थे।

पार्टी के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि 2019 चुनाव के एक साल बाद ही पवन कल्याण को जगन मोहन के सरकार की कार्य करने के तरीके को देखकर समझ आ गया था कि ये सरकार ज्यादा दिन तक चलने वाली नहीं है। पार्टी के नेता ने बताया कि वो जल्दी ही अपनी समझ को ध्यान में रखते हुए एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए।

बीते राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले ही कल्याण चुनावी मैदान में दमदारी के साथ उतरे थे। उन्होंने पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए वराह और मछुआरों के मुद्दों को उठाना शुरू किया। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि जेएसपी जाति सीमाओं को पार करने में कामयाब रही जिस वजह से कल्याण को लोग घर-घर में प्यार देने लगे और समर्थन करने लगे।

उन्होंने चुनाव के दौरान ‘राज्य को जगन से बचाओ’ का नारा दिया। यह नारा उनके फिल्मी डायलॉग की तरह मशहूर हुआ और हर किसी के जुबान पर सवार हो गया। चुनाव में उन्होंने एनडीए गठबंधन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गठबंधन के लिए पहले कल्याण ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को मनाया जबकि टीडीपी को भी साथ लाया। टीडीपी के नेतृत्व में हुए चुनाव में गठबंधन को प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ। वहीं पार्टी के पदाधिकारी के अनुसार कल्याण ने इस गठबंधन के लिए बीजेपी और टीडीपी को मनाया था। अगर इस चुनाव में परिणाम एनडीए के पक्ष में नहीं आते तो दोनों पार्टियां कल्याण को जिम्मेदार मानती।

पार्टी और कल्याण के लिए निर्णायक दौर उस समय आया था जब टीडीपी प्रमुख नायडू को कथित एपी कौशल विकास निगम घोटाले को लेकर गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। नायडू इस दौरान 53 दिनों तक जेल में थे। नायडू के जेल के दौरान कल्याण उनसे मिलने जा रहे थे इस दौरान कल्याण को बीच में ही रोक लिया गया था। नायडू के हिरासत के दौरान ही कल्याण ने टीडीपी से गठबंधन की घोषणा की।