तीस्ता सीतलवाड़ का संकट बढ़ता जा रह है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीस्ता के एनजीओ ‘सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस’ को पूर्व अनुमति श्रेणी (प्रायर परमिशन कैटेगरी) में डाल दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से की गई जांच के बाद यह फैसला किया गया है।

जांच में पाया गया था कि सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने कथित तौर पर विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन किया। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, विदेशी चंदा लेने या उनका इस्तेमाल करने से पहले एनजीओ को गृह मंत्रालय के विदेशी प्रभाग से पूर्व इजाजत लेनी होगी। साल 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के लिए मुकदमे लड़ते रहे सिटजिंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने 2008-09 से 2013-14 तक कुल 1.18 करोड़ रुपए का विदेशी चंदा हासिल किया।

नोटिस के मुताबिक, 80 फीसद से ज्यादा या करीब 95 लाख रुपए कानूनी सहायता पर खर्च किए गए। तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद की ओर से संचालित सीजेपी और सबरंग ट्रस्ट को करीब दो महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोटिस दिया था जिसमें एनजीओ से पूछा गया था कि एफसीआरए के तहत उनका पंजीकरण क्यों न रद्द कर दिया जाए क्योंकि दोनों संगठनों के दस्तावेजों और खाता-पुस्तिकाओं से अनियमितता और वित्तीय गड़बड़ी का पता चला है।

गृह मंत्रालय ने कहा कि सीजेपी जहां शैक्षणिक व आर्थिक उद्देश्यों के लिए पंजीकृत थी, वहीं इसने कानूनी सहायता, जो सामाजिक उद्देश्य के दायरे में आते हैं, जैसी गतिविधियों के लिए विदेशी चंदा लिया। लिहाजा सीजेपी ने एफसीआरए नियमों का उल्लंघन किया। मंत्रालय ने जांच में यह भी पाया कि जावेद ने लाहौर की यात्रा के लिए अंतरराष्ट्रीय मेडिकल पॉलिसी ली और उस रकम को सबरंग ट्रस्ट के खाते में जमा करवा दिया। दोनों एनजीओ ने गृह मंत्रालय को बताया है कि उन्होंने कोई वित्तीय अनियमितता नहीं की।