पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित संस्था मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती फिर से अनशन पर बैठ गए हैं। पहले उन्होंने मार्च में अनशन शुरू किया था परंतु कोरोना संकट के कारण उन्होंने अपना अनशन स्थगित कर दिया था। उन्होंने 3 अगस्त तक मांग पूरी ना होने पर फिर से अनशन करने की चेतावनी दी थी। इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री,केंद्रीय पर्यावरण मंत्री व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था।
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के निधन के बाद ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद साध्वी पद्मावती और स्वयं स्वामी शिवानंद सरस्वती आमरण अनशन पर बैठे थे लेकिन सरकार ने इनकी एक भी मांग पूरी नहीं की।
मातृ सदन ने इस बार प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के एजंडे की मुख्य मांगों गंगा और गंगा की सहायक नदियों पर प्रस्तावित सभी बांध निरस्त किए जाने और निर्माणाधीन बांध बंद किए जाएं। इसके साथ ही गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे 5 किलोमीटर के दायरे में बने सभी स्टोन क्रेशर बंद करने की भी मांग है। उन्होंने यह भी मांग की है कि गंगा के कुंभ क्षेत्र हरिद्वार में पूर्ण रूप से गंगा नदी में खनन का काम बंद किया जाए और प्रोफेसर जीडी अग्रवाल द्वारा प्रस्तावित गंगा कानून को जल्द ही लागू किया जाए। प्रधानमंत्री द्वारा नमामि गंगे की टीम हरिद्वार में समस्त स्टोन क्रेशर और खनन के कार्य जांच करने के लिए भेजी गई थी उस टीम द्वारा जांच में गड़बड़ी की गई थी। जांच करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
23 साल से लड़ाई लड़ रहा है मातृ सदन
23 सालों से मातृ सदन गंगा की रक्षा की लड़ाई लड़ रहा है। 1998 में मातृ सदन की स्थापना कनखल के पास जगजीतपुर क्षेत्र में गंगा के तट पर की गई थी। इसकी स्थापना स्वामी शिवानंद सरस्वती ने की थी।
मातृ सदन ने 23 साल में गंगा की रक्षा के लिए तीन साधुओं स्वामी गोकुलानंद (2003), स्वामी निगमानंद (2011) और स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (2018 ) का बलिदान दिया है। इन सालों में मातृ सदन में गंगा रक्षा के लिए विभिन्न साधुओं ने 62 बार अब तक अनशन किया है और सबसे ज्यादा लंबा अनशन दक्षिण भारत के रहने वाले युवा संन्यासी आइटी के पूर्व छात्र रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का 194 दिनों (24 अक्टूबर 2018 से 4 मई 2019) तक चला।
स्वामी गोकुलानंद की तो खनन माफियाओं ने कुमाऊं मंडल में हत्या कर दी थी और प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की मांगों के समर्थन में अनशन पर बैठी साध्वी पद्मावती गंभीर रूप से बीमार हो चुकी है परंतु शासन प्रशासन और सरकार में कहीं भी गंगा भक्तों की सुनवाई नहीं हो रही है। अब तक मातृ सदन के संतों ने 62 बार गंगा रक्षा के लिए अनशन किया है और अब सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती गंगा रक्षा के लिए 63वीं बार अनशन पर बैठने वाले संत हैं जबकि वह गंगा रक्षा के लिए व्यक्तिगत रूप से अब 18वीं बार अनशन पर बैठे हैं।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर अंतरराष्ट्रीय पक्षी विज्ञानी प्रोफेसर दिनेश चंद्र भट्ट का कहना है कि गंगा नदी पर जिन स्थानों पर खनन हुआ उन स्थानों पर गंगा नदी में रहने वाले जीव जंतुओं और गंगा के उन तटों पर आने वाले प्रवासी पक्षियों के प्रजनन की समस्या विकट हो गई जिससे वहां पर यह प्रजातियां विलुप्त हो गई और गंगा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ी। उन्होंने बताया कि गंगा के अलावा उसकी सहायक नदियों में भी खनन का विपरीत प्रभाव पड़ा है मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती का कहना है कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल सानंद स्वामी की प्रमुख मांगों को लागू करने के लिए वे अनशन पर बैठे हैं।
उनकी यह गंगा रक्षा के लिए तपस्या है सरकार में कोई सुनवाई नहीं है बल्कि राज्य सरकार ने तो खनन माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए गंगा और उसकी सहायक नदियां और अन्य नदियों में स्टोन क्रेशर लगाने की दूरी को और कम कर दिया है जिससे गंगा और उसकी सहायक नदियां तथा अन्य नदियों में अवैध खनन और अधिक होगा और गंगा में प्रदूषण और ज्यादा बढ़ेगा।
