पंजाब में बीजेपी की साथी पार्टी शिरोमणी अकाली दल में बगावती सुर सामने आए हैं। हाल ही में पार्टी से निष्कासित किए गए राज्य सभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा ने बादल परिवार के खिलाफ ‘सफर-ए-अकाली लहर’ शुरू किया है। शनिवार यानी 18 जनवरी को दिल्ली में सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व के खिलाफ अकाली दल के बागी एकत्रित हो रहे हैं।
बादल परिवार के खिलाफ अकाली दल में बागी तेवर बढ़ते ही जा रहे हैं। पार्टी अब अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। पार्टी को 100 साल पूरे होने को आए हैं। पार्टी की स्थापना दिसंबर 1920 में हुई थी। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर जिनके पिता प्रकाश सिंह बादल (92) ने लंबे समय तक पार्टी को काफी मजबूत रखा था। लेकिन फिलहाल पार्टी काफी कमजोर नजर आती है। बीते पंजाब विधानसभा चुनाव में 117 सीटों में से सिर्फ 14 सीटों पर इस पार्टी को जीत मिली थी।
इससे पहले पार्टी से निष्कासित चल रहे सुखदेव सिंह ढींढसा और उनके बेटे ने परमिंदर सिंह ढींढसा ने पार्टी पद से इस्तीफा देते हुए पार्टी में लोकतंत्र की कमी का आरोप लगाया था। इससे पहले दिसंबर में सुखदेव सिंह ने भी बादल परिवार के खिलाफ बगावती सुर अपनाए थे और अलग से पार्टी का स्थापना दिवस मनाया था। उन्होंने सुखबीर बादल पर अकाली दल को बर्बाद करने का आरोप लगाया था।
बादल के खिलाफ नाराजगी तब से बढ़ रही है जब बादल सीनियर में उनके परिवार के कैबिनेट सदस्यों में शामिल हुए। इनमें उनके बेटे सुखबीर, दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरों और बेटे के साले बिक्रम सिंह मजीठिया लगातार दो कार्यकाल- 2007 और 2012 में शामिल थे। वहीं, केंद्र में सांसद बहू हरसिमरत बादल का भी प्रमोट किया गया। 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद नाराजगी फैल गई। बादल के सत्ता में दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए एक दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेताओं ने 2018 में पार्टी छोड़ दी थी।
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