उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना की तरफ से दायर उस समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने परिसंपत्तियों के बंटवारे में बारे में शीर्ष अदालत के फैसले को चुनौती दी है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि नवगठित राज्य संस्थानों पर ‘पूरी तरह’ अधिकार होने का दावा महज इसलिए नहीं कर सकता कि वे उसकी राजधानी हैदराबाद में स्थित हैं। हैदराबाद फिलहाल दोनों राज्यों की राजधानी है। न्यायमूर्ति वी. गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने समीक्षा याचिका की खुली सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया और यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है।

उच्चतम न्यायालय ने 18 मार्च को उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार कर दिया था जिसमें आंध्रप्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद् (एपीएससीएचई) के बैंक खाते को जब्त कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने इस आधार पर एपीएससीएचई के खाते को जब्त करने के आदेश दिए थे कि अब ये तेलंगाना राज्य उच्च शिक्षा परिषद् (टीएससी) के हैं क्योंकि यह हैदराबाद में स्थित है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि तेलंगाना ने एपीएससीएचई की पूरी राशि और संपत्ति पर मालिकाना हक जताया है। अदालत ने कहा, ‘पुनर्गठन अधिनियम 2014 को लागू करते वक्त निश्चित रूप से यह मंशा नहीं रही होगी।’

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘दलील की मुख्य बात यह है कि तेलंगाना का हैदराबाद शहर में स्थित संस्थानों पर पूरा अधिकार महज इसलिए नहीं बनता कि हैदराबाद तेलंगाना में आ गया है।’ न्यायालय ने कहा, ‘तेलंगाना की तरफ से पेश जिरह से हम पूरी तरह सहमत नहीं हैं। अगर इस तर्क को स्वीकार किया जाता है तो कानून की धारा 47 के तहत संपत्ति और जवाबदेही का विभाजन दोनों राज्यों में होना है।’