लोकपाल की नियुक्ति न करने पर एक दिन पहले ही केंद्र सरकार को फटकार लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिर नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से केंद्रीय मंत्री का नाम बताने को कहा, जो अदालत के मुताबिक, दिव्यांगों कल्याण की ‘फाइलों पर बैठे’ हुए हैं। इस पर जब सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि सरकार ने दिव्यांगों की मदद के लिए कई कदम उठाए हैं, तो चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने नाम पूछना तब तक बंद नहीं किया, जब तक कुमार ने जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, ”मंत्री का नाम थावर चंद गहलोत है।” बेंच ने पूछा कि कया सरकार ‘पंचायत’ की तरक काम कर रही है। गहलोत केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री है। यह एक अनोखा वाकया था जब सुप्रीम कोर्ट ने किसी कानून अधिकारी ने कैबिनेट मंत्री का नाम लेने को कहा हो। आमतौर पर, अगर अदालत अपने निर्देशों के क्रियान्वयन या किसी विशेष वर्ग के कल्याण के लिए बने कानून की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट होती है, तो यह उससे जुड़े अधिकारियों के नाम मांगती है और उन्हें समन करती है।
दिव्यांगों को विकास के लिए एकसमान उपलब्धता और समान अवसर देने के लिए दायर की गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को शुरू हुई थी। सॉलिसिटर जनरल ने वर्तमान सरकार द्वारा उठाए गए कदम गिनाए, जिनमें दिसंबर 2015 में ‘एक्सेसिबल इंडिया कैंपेन’ के लॉन्च की बात भी शामिल थी। इस अभियान के तहत जुलाई 2018 तक राष्ट्रीय राजधानी और राष्ट्रीय राजधानियों की कम से कम 50 सरकारी इमारतों को दिव्यांगों के लिए ‘पूरी तरह उपभोग’ लायक बनाया जाएगा। इस पर बेंच ने पूछा कि एनडीए सरकार के दो साल के शासनकाल में विकलांग कानून के तहत केंद्रीय संयोजन कमेटी की कोई बैठक क्यों नहीं बुलाई गई।
अदालत ने पूछा कि ”संबंधित केंद्रीय मंत्री कौन है?” इस पर कुमार ने कहा कि बैठक इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि एनडीए सरकार ने 2014 में ‘राइट्स ऑफ पर्संस विद डिसएबिलिटी बिल’ पेश किया था, लेकिन बेंच ने मंत्री का नाम जानने पर जोर दिया। कुमार ने इस पर जोर देते हुए कि आखिरी बैठक 2012 को बुलाई गई थी, कहा कि पिछली सरकार के काल में भी ऐसी काेई बैठक नहीं बुलाई गई। इस पर बेंच ने कहा, ”पिछली सरकार ने नहीं किया, ठीक है मगर आप कहते हैं कि यह सरकार अलग है। फाइलों पर बैठा हुआ माननीय मंत्री कौन है?… बताइए ये कौन मंत्री है जो फाइलों पर बैठा रहता है।”
अदालत ने आगे कहा, ”यह भारत सरकार है या कोई पंचायत? भारत सरकार सोचती है कि वर्तमान कानून को बदलने के लिए एक बिल काफी है। यह मंजूर नहीं है कि पिछले चार साल में कोई बैठक नहीं हुई। ऐसा लगता है कि कानून या भियान को लागू करने के लिए कुछ नहीं किया गया। क्या सरकार इसी तरह काम करती है?”
कुमार ने बेंच को बताया कि केंद्रीय संयोजन कमेटी की अगली बैठक 29 नवंबर को बुलाई जाएगी। इस पर बेंच ने कमेटी के चीफ कमिश्नर को बैठक के मुख्य बिंदु 14 दिसंबर को जमा कराने को कहा है।