सर्वोच्च न्यायालय ने हिसार के बरवाला के निकट सतलोक आश्रम में रामपाल की गिरफ्तारी के अभियान के दौरान ही पुलिस द्वारा मीडिया के लोगों पर कथित हमले की घटना की न्यायिक जांच के लिए दायर याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब तलब किए।
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पुलिस के कथित हमले के शिकार हुए मीडियाकर्मियों सहित पत्रकारों के समूह की जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये सहमति व्यक्त करते हुए केंद्र और हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किए।
ये जनहित याचिका विकास चंद्र , प्रभाकर मिश्रा और श्रीनिवास सहित मीडिया के लोगों ने दायर की है। याचिका में बगैर किसी चेतावनी के लिए लाठीचार्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों को दंडित करने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकारी प्राधिकारियों द्वारा ‘प्रेस का गला घोंटने’ की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। याचिका में प्रभावित पत्रकारों को समुचित मुआवजा दिलाने और मीडिया के स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से काम करने के लिए दिशा-निर्देश बनाने का अनुरोध भी किया गया है।
याचिका में हिसार की घटना के साथ ही हाल ही में हुई ऐसी दूसरी घटनाओं का भी जिक्र याचिका में किया है जिसमें मीडिया पर हमले हुए हैं। याचिका में कहा गया है कि आश्चर्य होता है कि अपने अपने चैनलों और स्थानीय प्राधिकारियों से उचित मंजूरी के बावजूद पुलिस ने पीछे से पत्रकारों को निशाना बनाया और सतलोक आश्रम के निकट अकारण ही उन पर उस समय हमला किया जब वे रामपाल के अनुयायियों और सुरक्षा बल के बीच हिंसक टकराव की कवरेज कर रहे थे।