साल की शुरुआत से भारतीय रेलवे ने ब्रिटिश राज की परंपरा को खत्म करते हुए रेलवे विभाग में जमादार पद के कर्मचारियों के पदों को बदलते हुए इन्हें असिस्टेंट कहे जाने की परंपरा शुरू की है। इसके अलावा ‘सफाईवाला’ कर्मचारी पद बदलते हुए इसे हाउसकीपिंग असिस्टेंट कहा कहा जाएगा। भारतीय रेलवे ने ऐसे ही विभिन्न विभागों में तैनात, धोबी, चौकीदार, हमाल, भिश्ती, क्लीनर, खलासी, पियोन, वेटर… यहां तक कुलियों के पदों को बदला है। अब इन सभी पदों के कर्मचारियों को असिस्टेंट या सिर्फ विभागों द्वारा विभेदित नामों से पुकारा जाएगा।
दरअसल देश के सबसे बड़े और सबसे पुराने नियोक्ताओं ने अपने औपनिवेशिक अतीत के अवशेषों को खत्म करने के तहत यह फैसला लिया है। मामले में फैसला करीब एक महीना पहले ले लिया गया था। रेलवे बोर्ड ने मान्यता प्राप्त श्रमिक संघों के साथ आंतरिक विचार-विमर्श और सलाह के बाद एक अधिसूचना जारी की। अधिसूचना जारी होने का मतलब है कि कुक और वेटर्स अब असिस्टेंट (कैटरिंग) हैं। इसी तरह, वॉश बॉयज़, चपाती मेकर्स, चाय-कॉफी मेकर्स, बियरर्स और क्लीनर्स असिस्टेंट (कैंटीन) हैं।
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लिस्ट तैयार करते समय संबंधित अधिकारियों ने पाया कि कुछ पदनाम संगठन के रूप में पुराने थे जिन्हें साल 1853 में अस्तित्व में लाया गया। इसमें चाहे समय के साथ विशिष्ट नौकरियां आईं हों। हालांकि अब फर्राश, लिफ्टर, फाइंडर, रिकॉर्ड सॉर्टर, संदेशवाहक-मैसेंजर जनरल असिस्टेंट हैं। अधिसूचना में कहा गया है, ‘पदनाम में संशोधन की वजह से मौजूदा ड्यूटी और जिम्मेदारियों, नियुक्ति प्रक्रिया, वेतन स्तर, पात्रता शर्तों में बदलाव नहीं होगा।’
ऑल इंडियन रेलवेमैन फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, ‘यहां वर्करों में असंतोष था। कई लोगों ने महसूस किया कि इनमें से कुछ पदनाम इन दिनों में उन्हें नीचा दिखाने के लिए हैं, जबकि कई ऐसी नौकरियों पर आधारित थे जो अस्तित्व में ही नहीं थीं। यह उनकी गरिमा के बारे में हैं।’ रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक ग्रुप डी (अब लेवल 1) के पदों के पद अतीत में शामिल नौकरियों के साथ संरेखित करने के लिए थे, जो कि ‘एक औपनिवेशिक अवशेष’ था।