भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने यह कहकर विवादों को हवा दे दी कि श्रीलंकाई जलक्षेत्र में घुसने पर भारतीय मछुआरों को गोली मारी जा सकती है।
विक्रमसिंघे ने भारतीय मछुआरों पर उत्तरी श्रीलंका के मछुआरों की आजीविका छीनने का आरोप लगाते हुए तमिल थांती टीवी से कहा- यदि कोई हमारे घर में घुसने की कोशिश करता है तो मैं गोली मार सकता हूं। यदि वह मारा जाता है…. तो कानून हमें ऐसा करने की इजाजत देता है। मछुआरों के मामले पर उन्होंने कहा- जहां तक मुझे पता है, हमारी बहुत बहुत मजबूत सीमा रेखाएं हैं। यह हमारा जलक्षेत्र है। जाफना के मछुआरों को मछलियां पकड़ने देना चाहिए। हमने उन्हें मछलियां पकड़ने से रोका, इसलिए भारतीय मछुआरे भीतर आ गए, वे समझौता करने के लिए तैयार हैं। एक उचित समझौता होना चाहिए लेकिन उत्तरी मछुआरों की आजीविका की कीमत पर नहीं।
श्रीलंकाई नौसेना की गोलीबारी में पिछले कुछ वर्षों में करीब 600 भारतीयों के मारे जाने संबंधी आरोपों के बारे में पूछे जाने पर श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल में ऐसी घटना नहीं हुई है। ऐसी आखिरी घटना 2011 में हुई थी। विक्रमसिंघे ने कहा कि इनमें से पहले की कई घटनाएं श्रीलंका के गृहयुद्ध के समय हुई थी। मेरा मानना है कि उनमें से कुछ लोग वास्तव में हथियारों की आपूर्ति में शामिल थे।
विक्रमसिंघे ने श्रीलंकाई जलक्षेत्र में भारतीय मछुआरों के कथित रूप से अवैध तरीके से मछलियां पकड़ने के मामले में सवाल उठाते हुए कहा – आप हमारे जलक्षेत्र में मछलियां क्यों पकड़ रहे हैं? भारतीय जलक्षेत्र में रहें… इससे कोई समस्या नहीं होगी, कोई किसी को गोली नहीं मारेगा। आप भारतीय जलक्षेत्र में रहें, हमारे मछुआरों को श्रीलंका जलक्षेत्र में रहने दें। अगर आप हमारे जलक्षेत्र में आते हैं तो नौसेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप न लगाएं।
उन्होंने इतालवी के मरीनों की गिरफ्तारी का मामला भी उठाया और कहा कि भारत अगर इटली का मित्र है तो उसे इटली के प्रति भी वही उदारता दिखानी चाहिए जो वह हमसे देखना चाहता है। रानिलसिंघे की इस विवादित टिप्पणी के बाद भारतीय विदेश मंत्री ने सुषमा स्वराज ने उनसे मुलाकात की और अपने मछुआरों के मुद्दे को मजबूती से उनके समक्ष उठाया। अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा से पहले अपनी दो दिवसीय यात्रा के तहत यहां पहुंची विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री को यह भी साफ कर दिया कि इतालवी मरीनों और भारतीय मछुआरों के बीच के मुद्दों में कोई तुलना नहीं होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने विक्रमसिंघे की टिप्पणी के कुछ घंटे बाद संवाददाताआें को बताया- उन्होंने (सुषमा ने) हमारा यह विचार स्पष्ट किया कि मछुआरों का विषय एक मानवीय मुद्दा है। इसे इतालवी मरीनों से जोड़ने की लंका की कोशिश पर अकबरुद्दीन ने कहा- बिल्कुल नहीं, ये दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं।
विश्लेषकों ने यहां बताया कि भारतीय मछुआरों का मुद्दा तमिल नेशनल अलायंस (टीएनए) की सुषमा के साथ वार्ता में उठा। यह पहला मौका है जब टीएनए ने भारत सरकार के साथ मछुआरों का मुद्दा उठाया है। पिछले महीने भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी और अपहरण के कई मामले हुए हैं। श्रीलंका के मछुआरे शिकायत करते हैं कि नई सरकार बनने के बाद से भारतीय मछुआरों के अवैध तरीके से देश के जलक्षेत्र में प्रवेश करने की घटनाएं बढ़ी हैं।
अपने देश के जलक्षेत्र में अवैध तरीके से मछली पकड़ने के आरोप में श्रीलंका की नौसेना कम से कम 86 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर उनकी 10 नौकाएं जब्त कर चुकी है।
विवादित बयान
यदि कोई हमारे घर में घुसने की कोशिश करता है तो मैं गोली मार सकता हूं। यदि वह मारा जाता है…. तो कानून हमें ऐसा करने की इजाजत देता है। आप हमारे जलक्षेत्र में मछलियां क्यों पकड़ रहे हैं? भारतीय जलक्षेत्र में रहें… इससे कोई समस्या नहीं होगी, कोई किसी को गोली नहीं मारेगा। आप भारतीय जलक्षेत्र में रहें, हमारे मछुआरों को श्रीलंका के जलक्षेत्र में रहने दें। अगर आप हमारे जलक्षेत्र में आते हैं तो नौसेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप न लगाएं। उन्होंने विवाद में इटली को भी घसीट लिया और कहा कि भारत अगर इटली का मित्र है तो उसे इतालवी मरीनों के प्रति भी वही उदारता दिखानी चाहिए जो वह हमसे देखना चाहता है।
बेकार की तुलना
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान साफ कर दिया कि इतालवी मरीनों और भारतीय मछुआरों के बीच के मुद्दों में कोई तुलना नहीं होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने विक्रमसिंघे की टिप्पणी के बाद कहा कि उन्होंने (सुषमा ने) हमारा यह विचार स्पष्ट किया कि मछुआरों का विषय एक मानवीय मुद्दा है। इसे इतालवी मरीनों से जोड़ने की लंका की कोशिश पर उन्होंने कहा- बिल्कुल नहीं, ये दोनों अलग मुद्दे हैं।