आध्यात्मिक गुरू सिद्धेश्वर स्वामी ने देश का चौथा सबसे सम्मानित नागरिक अवार्ड पद्मश्री लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इस पर स्पष्टिकरण दिया है कि वह यह सम्मान क्यों नहीं लेना चाहते। उन्होंने कहा है कि वह एक सन्यासी हैं, इसलिए उन्हें अवार्ड की जरूरत नहीं है। सिद्धेश्वर स्वामी ने कहा, ‘मैं भारत सरकार को आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे पद्मश्री से सम्मानित करने का फैसला किया। मैं आपकी और सरकार की बहुत इज्जत करता हूं लेकिन मैं यह अवॉर्ड नहीं ले सकता। मैं एक सन्यासी हूं और मुझे अवार्ड्स में कोई दिलचस्पी नहीं है। मुझे आशा है कि अवार्ड ना लेने के मेरे फैसले का आप सम्मान करेंगे।’
स्वामी की ओर से अवार्ड न लेने के फैसले का लोग स्वागत कर रहे हैं। ट्विटर पर बहुत से लोगों ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की और कहा कि यही एक असली सन्यासी कहलाता है। लोग कह रहे हैं, ‘एक असली सन्यासी ना तो गिफ्ट स्वीकार करता है और ना ही अवार्ड्स। वह केवल धर्म के लिए जीता है।’ वहीं कुछ लोगों ने कहा है कि भारत में खुद को सन्यासी बताने वाले बाकी लोगों को भी इनसे कुछ सीखना चाहिए। हाल ही में पद्म अवार्ड पाने वाले लोगों के नामों का ऐलान किया गया था, जिनमें सिद्धेश्वर स्वामी का नाम भी शामिल था।
Spiritual leader Siddheshwar Swamiji of Vijaypur has written a letter to Prime Minister Narendra Modi declining to accept the Padma Shri award which was conferred upon him. pic.twitter.com/UfQHUTgRFn
— ANI (@ANI) January 28, 2018
A true Sanyasi does not accept gifts or awards or rewards. They live by that Dharma.
No controversy here— Liquid Comforts (@LiquidComforts) January 28, 2018
So called Sanyasi Businessmen should learn from this.
— MDG (@b_ingmyself) January 28, 2018
A sanyasi in true sense would not even know that he has received any awards… another fake swami with fickle political traits..
— Amit Kumar Jha (@amitkjha8) January 28, 2018
We must do the few works to respect feeling of others! Anyway I am too small to comment on people like him!
— SAtish (@satishscorpion) January 28, 2018
इससे पहले अवार्ड न लेने के मामले पर विजयपुर के जनाना योगाश्रम के सिद्धेश्वर स्वामी ने कहा था कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में किसी भी तरह के सम्मान को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने कहा था, ‘कर्नाटक यूनिवर्सिटी मुझे कुछ सालों पहले डॉक्टरेट की उपाधि देना चाहती थी, जिसके लिए भी मैंने मना कर दिया था। मेरे द्वारा अवार्ड न लेने का संबंध किसी भी तरह से राजनीतिक नहीं है।’ बता दें कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर साल 2017 के लिए पद्म पुरस्कारों का एलान किया गया था। सरकार समाज के अलग-अलग क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों के लिए महान विभूतियों को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित करती है।