दुनिया भर में वैसे तो मरने के बाद लोगों को दफन करने या दाह-संस्कार की प्रथा है। लेकिन, दक्षिण कोरिया में जिंदा लोगों को ही कब्र में लिटाने की प्रथा परवान चढ़ रही है। यहां लोगों को पूरे विधि-विधान के साथ 10 मिनट तक कब्र में लेटाया जा रहा है। 2012 से शुरू होने वाले ह्मोवोम हीलिंग सेंटर द्वारा आयोजित कराए गए अंतिम संस्कार में अभी तक 25 हजार लोग हिस्सा ले चुके हैं। इसका एक मात्र उद्देश्य यह है कि लोग कब्र में लेटकर मौत को महसूस कर सकें और इसके बाद अपने वर्तमान को ठीक तरीके से जिएं।
अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने वाले 75 वर्षीय चाओ जी-ही ने एक मीडिया रिपोर्ट में बताया, “एक बार जब आप मौत के प्रति उत्सक होते हैं और उसे महसूस करते हैं, उसके बाद आप जीवन के प्रति अलग ही नजरिया इख्तियार कर लेते हैं।” डाइंग वेल नाम के इस कार्यक्रम में टीनएज से लेकर बूढ़े-बुजुर्ग तक शामिल हो चुके हैं। इसमें हिस्सा लेने वालों को 10 मिनट तक कब्र में विधि-विधान के साथ लेटाया जाता है।
एनडीटी की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उसका नजरिया पूरी तरह बदल चुका है। पहले वह बाकी लोगों को अपना प्रतियोगी मानते थे, लेकिन अब दृष्टिकोण बदल चुका है। एक दूसरे युवक ने बताया कि अब वह नौकरी में जाने की बजाय अपना व्यापार शुरू करने की सोच रहा है।
गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया आर्थिक सहयोग और बेहतर जीवन के मामले में 40 देशों की श्रेणी में 33वें स्थान पर है। इस देश के ज्यादातर युवा अच्छी शिक्षा और रोजगार को लेकर काफी आशान्वित रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट में एक प्रोफेसर बताते हैं कि यह बेहद जरूरी है कि जवानी में ही मौत को समझा जाए। ध्यान देने वाली बात यह है कि WHO (World Health Organisation) के मुताबिक दक्षिण कोरिया में आत्महत्याओं की दर 20.2 फीसदी है। यह आंकड़ा वैश्विक स्तर का दोगुना है।