झारखंड के हजारीबाग में रामनवमी के मौके पर हुई हिंसा के बाद लगाया गया कर्फ्यू सोमवार को भी जारी रहा। बताया जा रहा है कि झगड़े की असल वजह रामनवमी जुलूस के दौरान बजाया एक भजन था। पुलिस अधिकारियों और स्‍थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के गाने पहले भी रैलियां का हिस्‍सा रहे हैं। बता दें कि हजारीबाग में रविवार को हुई हिंसा 1989 के बाद की सबसे बड़ी हिंसा है।

रेवली गांव में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया,’जिस गाने को लेकर कहा जा रहा है कि इसके चलते हिंसा हुई वह वास्‍तव में कुछ नहीं है। मुझे याद है पिछले साल भजन के बोल और ज्‍यादा तीखे थे। इसमें पड़ोसी देश को चीर डालने तक की बात की गई थी। ये गाने साम्‍प्रदायिक नहीं है।’ पुलिस का कहना है कि हर साल पूजा समितियों को इस तरह के गाने नहीं बजाने को कहा जाता है। वे इस बात पर सहमत भी हो जाते हैं लेकिन फिर भी ऐसा करते हैं।

अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के गानों पर प्रतिबंध लगाना मुश्किल होगा। हजारीबाग के एसपी अखिलेश झा ने कहा कि प्रशासन कोशिश कर चुका है कि कम से कम इस तरह के गाने कम आवाज पर बजाए जाएं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि दूसरे समुदायों के क्षेत्रों में जुलूस को ज्‍यादा देर रोकना भी हिंसा का कारण हो सकता है। हिंसा के बाद लगभग एक दर्जन दुकानों और आधा दर्जन वाहनों को जला दिया ग