अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी(एएमयू) के वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल(रिटायर्ड) जमीरुद्दीन शाह का कहना है कि स्‍मृति ईरानी को मानव संसाधन मंत्री के रूप में वाइस चांसलर्स के प्रति और अधिक सम्‍मान दिखाना चाहिए था। शाह ने कहा, ”इस तरह की बातें(शिक्षकों के साथ रिश्‍ता) कई बार अखबारों में छपी। मुझे लगता है कि उन्‍हें वाइस चांसलर्स को उनकी उम्र व अनुभव देखते हुए और सम्‍मान देना चाहिए था।” उन्‍होंने बताया कि उन्‍हें भी ईरानी का गुस्‍सा झेलना पड़ा था।

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रिपोर्ट्स के अनुसार आठ जनवरी को स्‍मृति ईरानी ने केरल के पूर्व सीएम ओमन चांडी और लोकसभा सांसद ईटी मोहम्‍मद बशीर से मीटिंग के दौरान शाह को बाहर जाने को कहा था। एएमयू के केरल के मल्‍लापुरम कैंपस की फंडिंग को लेकर यह मीटिंग बुलाई गई थी। जब वीसी जमीरुद्दीन शाह कमरे में आए तो ईरानी ने उनसे कहा कि आपको नहीं बुलाया गया। इस घटना की शाह ने पुष्टि की और कहा, ”केरल सीएम के साथ जाने वाले डेलीगेशन का मैं सदस्‍य था। वह नहीं चाहती थीं कि मैं इसमें हिस्‍सा लूं। जिस तरह से उन्‍होंने मुझसे व्‍यवहार किया… बाद में मैंने उनसे कहा कि मैं इसकी प्रशंसा नहीं करता। लेकिन वह मामला अब खत्‍म हो चुका है।”

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टैक्‍सटाइल्‍स मंत्री के रूप में काम संभालने के बाद स्‍मृति ईरानी। (Photo: PIB)

शाह ने उन अफवाहों की भी पुष्टि की जिसमें कहा गया था कि उन्‍हें कई बार प्रयास करने के बाद भी स्‍मृति ईरानी ने मिलने का मौका नहीं दिया। वे लगभग एक साल तक कोशिश करते रहे। वीसी ने कहा, ”यह सच है कि मुझे एक साल तक उनसे मिलने का मौका नहीं मिला और प्रधानमंत्री से मिलने के बाद ही मुझे बुलाया गया। उनसे पहले के सभी शिक्षा मंत्री मिलनसार थे। मैंने उनसे आखिरी मीटिंग में भी इस बात का जिक्र किया था लेकिन उन्‍होंने मुझे मिलने में देरी का कारण नहीं बताया।”

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अंग्रेजी अखबार ने स्‍मृति की विदाई को कुछ इस तरह फ्रंट पेज पर जगह दी थी। (Snapshot from The Telegraph)

हालांकि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीसी ने स्‍मृति ईरानी को शिक्षा मंत्री के पद से हटाए जाने का कारणों का अंदाजा लगाने से मना कर दिया। उन्‍होंने कहा, ”यह प्राथमिक रूप से प्रधानमंत्री का निर्णय है। इस मंत्रालय को मुखिया जो व्‍यक्ति हो उसे शिक्षकों और शिक्षा की समझ होनी चाहिए।”