इशरत जहां मुठभेड़ मामले में सीबीआई जांच में शामिल आईपीएस सतीश वर्मा ने चुप्पी तोड़ते हुए बुधवार को कहा कि उसकी मौत पूर्वनियोजित हत्या थी। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हमारी जांच में पता चला है कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत जहां और उसके तीन साथियों को उठा लिया था। गौर करने वाली बात ये है कि उस वक्त भी आईबी के पास इस बात के सबूत या संकेत नहीं थे कि एक महिला आतंकियों के साथ मिली हुई है। इन लोगों को गैर कानूनी रूप से कस्टडी में रखा गया और फिर मार डाला गया।’ वर्मा गुजरात हाईकोर्ट की ओर से बनार्इ गई एसआईटी के सदस्य थे।
वर्तमान में वर्मा शिलॉन्ग में नेपको में मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में पदस्थ हैं। उन्होंने कहा,’ अब ऐसा हो रहा है राष्ट्रवाद और सुरक्षा के नाम पर एक गरीब और मासूम लड़की का नाम खराब किया जा रहा है जिससे कि इस अपराध में शामिल लोगों के माकूल माहौल बनाया जा सके।’ उन्होंने इशरत के लश्कर ए तैयबा आतंकी और आत्मघाती हमलावर होने का भी खंडन किया। वर्मा ने कहा कि जावेद शेख के संपर्क में आने के बाद वह अपने घर और परिवार से केवल 10 दिन दूर रही। एक आत्मघाती हमलावर और लश्कर का आतंकी बनाने के लिए लंबा समय लगता है। 303 राइफल को भी सही तरीके से चलाने के लिए 15 दिन का समय लगता है। जितने समय तक वह बाहर रही उसमें उसे फिदायीन नहीं बनाया जा सकता।
वर्मा ने पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि के आरोपों का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि पिल्लई इंटेलिजेंस अधिकारी नहीं है। सतीश वर्मा ने कहा कि मणि को मामले की सीधी जानकारी नहीं थी। मणि की ओर से लगाए गए आरोप पुराने हैं। बता दें कि मणि ने आरोप लगाया था कि उन्हें इस मामले में प्रताडि़त किया गया। सतीश वर्मा ने उन्हें सिगरेट से दागा।
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