प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी मंगेश हाडवले की शॉर्ट फिल्म ‘चलो जीते हैं’ ने पारिवारिक मान्यताओं पर बनी फिल्म के लिए बेस्ट नॉन फीचर फिल्म का खिताब जीता है। फिल्म में पीएम मोदी के बचपन को चित्रित किया गया है। सुबोध मालगोंडे द्वारा लिखित इस फिल्म के निर्माण में महावीर जैन और भूषण कुमार ने वित्तीय सहायता की। फिल्म की कहानी स्वामी विवेकानंद के उद्धरण ‘वही जीते हैं, जो दूसरे के लिए जीते हैं’ से प्रेरित एक लड़के के इर्द-गिर्द घूमती है। नॉन फीचर फिल्म जूरी के चेयरमैन एएस कनाल ने कहा फिल्म को इसकी पटकथा के आधार पर आंका गया है। उन्होंने कहा, ‘ज्यूरी को नहीं पता था कि फिल्म पीएम मोदी के बचपन से प्रभावित थी।
शुक्रवार (9 जुलाई, 2019) को हुई राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं की घोषणा में ‘उरी’ फिल्म का नाम भी शामिल था। फिल्म ने बेस्ट डायरेक्शन, बेस्ट ऑटोबायोग्राफी और बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन के लिए अवॉर्ड जीता। इसके अलावा फिल्म के हीरो विक्की कौशल और ‘अंधाधुंध’ एक्टर आयुष्मान खुराना को बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड के लिए चुना गया। अंधाधुन साल 2018 की बेस्ट फिल्मों में से एक है, इस फिल्म की चर्चा दुनियाभर में हुई थी। वहीं उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक इस साल की सबसे कामयाब फिल्मों में से एक है।
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जानना चाहिए कि ज्यूरी को इस साल राष्ट्रीय अवॉर्ड के लिए 419 प्रविष्टियां मिलीं। सेंट्रल पैनल के 11 सदस्यों वाली टीम ने इनमें से 84 को विचार के लिए स्वीकार किया। टीओआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि शुरू में पैनल के सदस्य पुरस्कार के लिए उरी फिल्म के विचार पर एकमत नहीं थे, क्योंकि फिल्म जनवरी, 2019 में रिलीज हुई थी जबकि 2018 में रिलीज हुई फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जा रहे थे।
टीओआई के मुताबिक कुल मतों में से 9 मत इसके खिलाफ पड़े जबकि ज्यूरी के एक सदस्य ने इसके पक्ष में वोटिंग की। हालांकि बाद में फिल्म के पक्ष में एक तर्क के बाद सदस्यों की राय बदल गई। दरअसल सच्चाई यह है कि फिल्म को 31 दिसंबर, 2018 को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिल गया था। इसलिए फिल्म 2018 के राष्ट्रीय पुरस्कार के विचार में लाई गई।