केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछली यूपीए सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि यूपीए सरकार ने स्वामीनाथन के द्वारा MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर दिए गए सुझाव को यूपीए सरकार ने मानने से इंकार कर दिया था।

अभी संसद सत्र चल रहा है। इसी दौरान समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामजी लाल सुमन ने एमएसपी को लेकर सवाल पूछा था। जिसपर जवाब देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने सभी संसद सदस्यों से कहा कि सरकार एमएसपी को लेकर अभी एक समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि जल्दी ही हम कुछ फैसला लेंगे पर पहले सरकार को इस मामले पर विचार तो मिल जाए।

सदन में बोलते हुए शिवराज ने कहा कि किसानों के नाम पर विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है। स्वामीनाथन समिति ने लागत पर 50% मुनाफा देकर समर्थन मूल्य की सिफारिश की, लेकिन यूपीए सरकार ने इसे खारिज किया। उन्होंने कहा कि समिति का गठन विशिष्ठ उद्देश्यों के साथ किया गया था। इसका उद्देश्य किसानों के लिए एमएसपी तय करना है।

लंबे आदंलोन के बाद कमेटी का हुआ था गठन

साल 2020-21 में कृषि कानूनों को लेकर किसानों द्वारा आंदोलन हुआ था जिसमें किसानों की एमएसपी को तय करने की भी मांग थी। लंबे आंदोलन के बाद सरकार ने एमएसपी को लेकर कमेटी का गठन किया था।

जयराम रमेश ने शिवराज के बयान पर जताई आपत्ति

कृषि मंत्री द्वारा सदन में दिए गए बयान के बाद विपक्ष ने उनका विरोध किया। इसके साथ ही विपक्ष ने शिवराज पर आरोप लगाया कि वह सवाल का सीधे जवाब देने की बजाय इधर-उधर की बातें कर रहे हैं। राज्यसभा में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने शिवराज के बयान से असहमति जताई। रमेश ने कहा कि मंत्री बात को घुमा रहे हैं।

जयराम ने कहा कि राज्यसभा में कृषि मंत्री से सीधे-सीधे एमएसपी सवाल किया गया तो उन्होंने केवल बातों को घुमाया। जबकि उनसे सवाल पूछा गया था कि क्या भारत सरकार एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी पेश करेगी? लेकिन करीब 30 मिनट बोलने के बाद भी कृषि मंत्री सवाल का जवाब देने से बचते नजर आए।