Shivaji Tiger Claw: छत्रपति शिवाजी महाराज की वह ‘बाघ नख’, जिससे उन्होंने अफजल खान का खात्मा किया था, वह लंदन के विक्टोरिया और एलबर्ट म्यूजियम रखा गया था और कल यानी शुक्रवार को वह प्रचीन बाघ नख भारत लाया जाएगा। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया कि इस ‘बाघ नख’ को महाराष्ट्र के ही सतारा स्थिति शिवाजी महाराज के म्यूजियम में रखा जाएगा।
‘बाघ नख’ को सतारा के म्यूजिय में ऱखने को लेकर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया है, इस आयोजन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी मौजूद रहेंगे। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और उदय सामंत ने लंदन के विक्टोरिया और एल्बर्ट म्यूजियम के साथ समझौता किया था, जिसके तहत शिवाजी महाराज के उस बाघ नख को तीन साल के लिए सातारा में रखा जाएगा।
क्यों अहम हैं शिवाजी की यह ‘बाघ नख’?
शिवाजी महाराज की इस बाघ नख की बात करें तो यह ‘बाघ के पंजे’ की तरह देखने वाला हथियार है। इसका इस्तेमाल छत्रपति शिवाजी महाराज ने साल 1659 में बीजापुर सल्तनत के जनरल अफजल खान को हराने के लिए किया गया था और धोखेबाज अफजल खान का पेट चीर कर रख दिया था और वो धोखेबाज लहुलुहान होकर मरा था।
‘बाघ नख’ की वापसी पर होंगे कई कार्यक्रम
महाराष्ट्र के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350 वर्षगांठ मना रहे हैं। इस मौके पर महाराष्ट्र में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाघ नख की मेजबानी के लिए सतारा म्यूजियम भी अहम है। इसकी वजह यह है कि शिवाजी ने सतारा में प्रतापगढ़ किले की तलहटी में अफजल खान को मार डाला था, जो कि उनकी बहादुरी का प्रतीक मान जाता है।
नख की प्रमाणिकता पर उठते रहे हैं सवाल
बता दें कि महाराष्ट्र में ‘बाघ नख’ की प्रामाणिकता पर बहस चलती रही है। इतिहास विशेषज्ञ इंद्रजीत सावंत की ओर से इसको लेकर कहा गया था कि शिवाजी महाराज शिवाजी ने इसका इस्तेमाल नहीं किया था। उनका कहना है कि विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय की वेबसाइट के अनुसार छत्रपति शिवाजी ने बाघ नख इस्तेमाल नहीं किया था। वह इसे स्वीकार नहीं करते हैं।