सुप्रीम कोर्ट में मुसलमानों में तीन बार तलाक कहने को लेकर चल रहे विवाद पर अखिल भारतीय शिया पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि वे सुन्नी समुदाय को इस बारे में समझाएंगे। लखनऊ में गुरुवार को शिया बोर्ड की बैठक में इस मामले में सुप्रीम कोटर् जाने का फैसला लिया गया। बैठक के दौरान सरकार से कहा गया कि हिेंदुओं में जिस तरह से सती प्रथा को प्रतिबंधित किया गया उसी तरह से तीन तलाक पर भी बैन लगाया जाए। गौरतलब है तीन तलाक के खिलाफ शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में केस दाखिल कर रखा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड इसके विरोध में है। उसका कहना है कि तीन तलाक पर सरकार या कोर्ट का दखल देना सही नहीं है। गौरतलब है कि 1829 में अंग्रेजों ने सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाया था।
शिया बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि तीन तलाक महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ”तलाक का बोझ हमेशा महिला क्यों सहे? इससे न केवल एक महिला बल्कि उसके परिवार और बच्चों को भी इस दर्द से गुजरना पड़ता है। जब इस्लाम में महिला और पुरुष को समान बताया गया है तो महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को कैसे सही ठहराया जा सकता है?” उन्होंने कहा कि सरकार भी अगर किसी चपरासी को हटाती है तो उससे सफाई मांगी जाती है। लेकिन तीन तलाक में ऐसा नहीं होता। शिया मौलवी कल्बे सादिक ने भी इसका समर्थन किया। उन्होंने कहा, ”हमारे लिए तीन तलाक तर्क और न्याय दोनों के खिलाफ है। सुन्नी भाइयों से विनती करेंगे कि वे इस पर पुनर्विचार करें।”
Triple talaq is nothing but gross injustice to women, this is a totally wrong law: Maulana Saif Abbas,Shia cleric pic.twitter.com/EalxaFt9hd
— ANI (@ANI) September 23, 2016
मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि तीन तलाक पूरी तरह से गलत है। यह महिलाओं के खिलाफ बड़ा अन्याय है। तीन तलाक के खिलाफ भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन, बेबाक कलेक्टिव, ऑल इंडिया वीमन्स पर्सनल लॉ बोर्ड भी कोर्ट में हैं। ये संगठन शायरा बानो के साथ हैं। वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध कर रहा है। उसकी ओर से दिए गए एफिडेविट में कहा गया कि कोर्ट को मुस्लिम पर्सनल लॉ के मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है।