Jammu and Kashmir (JK) Latest News Today: साल 1949 के जुलाई महीने में शेख अब्दुल्ला और अन्य तीन को जम्मू-कश्मीर के शासक द्वारा दिल्ली में संविधान सभा के लिए नामित किया गया। दिल्ली में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस पर बातचीत की, जिसके चलते आर्टिकल 370 को अपनाया गया। यहां बता दें कि बातचीत कई महीनों तक एन गोपालस्वामी अय्यंगार (तब के कैबिनेट मिनिस्टर और कश्मीर के दीवान) और शेख अब्दुल्ला व अन्य लोगों के बीच चली थी। यहां यह भी जानना जरुरी है कि संविधान सभा में बहस के दौरान यह आर्टिकल पहले 306A था।

कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को लेकर पहली मीटिंग 15-16 मई, 1949 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के आवास पर हुई और इस दौरान तब के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी वहां मौजूद थे। जब अय्यंगार ने नेहरू से अब्दुल्ला तक एक मसौदा पत्र तैयार किया, जिसमें नेताओं की व्यापक समझ को शामिल किया गया तो उन्होंने (अय्यंगार) इसे एक नोट के साथ पटेल को भेज दिया। इसमें लिखा था, ‘क्या आप जवाहरलाल जी को इसके बारे में अपनी स्वीकृति के रूप में प्रत्यक्ष से बताएंगे? वह सिर्फ आपकी मंजूरी मिलने के बाद ही शेख अब्दुल्ला को लेटर जारी करेंगे।’

अय्यंगार, जिन्होंने आखिरकार आर्टिकल 370 का मसौदा तैयार किया, ने 17 अक्टूबर, 1949 को संविधान सभा को बताया, ‘हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि लोगों की इच्छा राज्य के संविधान के साथ-साथ राज्य के संघ के क्षेत्राधिकार के क्षेत्र का निर्धारण करेगी।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘आपको याद होगा कि इनमें से कई खंड जम्मू और कश्मीर राज्य की सहमति प्रदान करते हैं।’

बाद में शेख अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि आर्टिकल को जम्मू और कश्मीर के बुनियादी अधिकारों और निर्देशक सिद्धांतों का विस्तार नहीं करना चाहिए, मगर इन्हें अपनाने या ना अपनाने का फैसला करने के लिए राज्य की संविधान सभा के पास छोड़ दें। हालांकि इस दौरान पटेल नाखुश थे लेकिन उन्होंने अय्यंगार को आगे बढ़ने की अनुमति दी। इस दौरान नेहरू विदेश में थे और उन्होंने जवाहर को 3 नवंबर 1949 को एक पत्र के जरिए बताया, ‘काफी चर्चा के बाद, मैं (कांग्रेस) पार्टी को स्वीकार करने के लिए राजी कर सका।’