भारत और पाकिस्तान के बीच बर्फीली ऊंचाइयों पर साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान जो कुछ हुआ उसका बड़े पैमाने पर विश्लेषण किया गया है। हालांकि बहुत कम लोगों को पता है कि कैसे कारगिल घुसपैठ की जानकारी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे एक सीनियर लीडर को मिली। दरअसल तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह के बेटे के पास सेना के अधिकारी के पहुंचने के बाद उन्हें इस महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में पता चला।
जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने बताया, ‘मैं तब रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय में अच्छे संपर्कों और दोस्तों के साथ इंडियन एक्सप्रेस के लिए डिफेंस कवर कर रहा था। मई के दूसरे सप्ताह की शुरुआत में सेना मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुझे फोन किया। फोन पर कहा गया कि वो मुझसे मिलना चाहते हैं। ये वाक्य मई 1999 का है।’
मानवेंद्र सिंह ने कहा कि ‘रात के भोजन के वक्त मैं सैन्य अधिकारी से मिलने उनके आवास पर पहुंचा। उन्होंने मुझे बताया द्रास-कारगिल सेक्टर पर कुछ गड़बड़ है क्योंकि पूरी पलटन को हेलिकॉप्टर के माध्यम से किसी मुश्किल जगह पर भेजा गया है किसी घुसपैठ से निपटने के लिए।’ बता दें कि सिंह बाद में राजनीति में आए और राजस्थान में सांसद और विधायक रहे।
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने और पूछताछ की तो पता चला है कि एलओसी पर कुछ गड़बड़ है और घुसपैठियों के उस क्षेत्र में होने की आशंका है। एक सैन्य अफसर के रूप में उन्होंने मुझे अपने पिता के जरिए राजनीतिक नेतृत्व को भी बताने के लिए कहा क्योंकि मामला गंभीर था।’
इंडियन एक्सप्रसे के पूर्व पत्रकार ने आगे बताया, ‘मैंने सुबह पापा को सारी बात सुनाई और पूछा क्या वह द्रास-कारलिग क्षेत्र में किसी बड़ी समस्या के बारे में जानते हैं। इसपर जसवंत सिंह नकारात्मक जवाब दिया और उन्होंने तब के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को फोन किया। वे अगले दिन रूस जाने वाले थे। उन्होंने अपनी यात्रा रद्द की और इस सरकार को घुसपैठ के बारे में पहली बार पता चला।’
