कोरोना महामारी के बीच देश आज 74 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। पूरे देश में जश्न का माहौल है। इस मौके पर स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जा रहा है। इस मौके पर महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को याद करते हुए उनके जीवन से जुड़ा एक रोचक किस्सा हम आपको बताते हैं। 23 जुलाई 1906 को जन्मे आज़ाद को उनकी मां उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहती थी लेकीन बेटा अंग्रेजों से लड़ना चाहता था और अपने देश को उनकी गुलामी से आज़ाद करना चाहता था। काकोरी कांड के बाद आज़ाद के सर पर अंग्रेजों ने भारी इनाम रखा था। एक रिपोर्ट के मुताबिक अपने दोस्ती की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए आज़ाद अंग्रेजों के सामने सरेंडर को तैयार हो गए थे। ताकि उनके दोस्त को इनाम की रकम मिल जाए।

काकोरी कांड के बाद अंग्रेजी पुलिस उनके पीछे थी। काकोरी के अलावा वे लाहौर षडयंत्र केस (सांडर्स की हत्या) और असेंबली बम धमाके में भी शामिल थे। जिसके चलते अंग्रेजों ने उनके सर पर भारी इनाम रखा था। आज़ाद ने अपनी जिंदगी के 10 साल फ़रारी में बिताए। इस दौरान वे झांसी और आसपास के जिलों में ही रहे। इस बीच उनकी मुलाक़ात मास्टर रुद्रनारायण सक्सेना से हुई। जो बाद में उनके बहुत अच्छे मित्र बन गए। आजाद कई सालों तक उनके घर पर रहे। अंग्रेजों से बचने के लिए वे अक्सर एक कमरे के नीचे बनी गुप्त जगह, जिसे तलघरा कहा जाता है। वहां छिप जाते थे। कहा जाता है वे वहीं प्लान भी बनाते थे।

इस दौरान सक्सेना की घर की स्थिति अच्छी नहीं थी। वे बेहद गरीब थे, दोस्त की ऐसी हालत आज़ाद से देखी नहीं गई और वे सरेंडर के लिए तैयार हो गए ताकि जो इनाम के पैसे मिलें उससे उनके दोस्त का घर अच्छे से चल सके। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। आज़ाद ने 27 फरवरी 1931 को खुद को गोली मार ली थी। उन्होने ऐसा इसलिए किया था ताकि अंग्रेज उन्हें जिंदा न पकड़ सकें। आज़ाद रूप बदलने और चकमा देने में माहिर थे।

27 फरवरी को वे आज़ाद प्रयाग के अल्फ्रेड पार्क में छिपे थे। यहाँ मीटिंग के लिए वो अपने बाकी दोस्तों का इंतजार कर रहे थे। तभी अजाज के एक साथी ने गद्दारी करते हुए उनके वहाँ होने की सूचना अंग्रेजों को दे दी। इसके बाद भारी मात्र में अंग्रेजी पुलिस वहां पहुंची और आज़ाद को चारों ओर से घेर लिया। इसके बाद हुई मुठभेड़ में आज़ाद ने कई अंग्रेजों को अकेले ढेर कर दिया। अंत में उनके पिस्तौल में सिर्फ एक गोली बची। जिसे उन्होंने अपने आप को मार ली और जिंदा न पकड़े जाने की कसम को पूरा किया।